एक समय था जब ग्वालियर-चंबल अंचल में उद्योगों की भरमार थी और ऐसा लगता था कि आने वाले समय में यहां कई और छोटे-बड़े उद्योग स्थापित होंगे, जिनसे क्षेत्र की समृद्धि के द्वार खुलेंगे और युवाओं को रोजगार मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि उद्योग बंद होते चले गए। पिछले एक दशक में बानमोर, मालनपुर और ग्वालियर के महाराजपुरा, बिरला नगर, तानसेन नगर, बाराघाटा औद्योगिक क्षेत्रों में 500 से अधिक बड़े-छोटे उद्योग बंद हो चुके हैं, लेकिन नए एक भी नहीं लगे।
नए उद्योग लाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास तो किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके चलते 10 वर्षों में यहां लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश डूब चुका है और 40 हजार से अधिक लोग बेरोजगार होकर यहां से दूसरे स्थानों पर चले गए। ग्वालियर-चंबल संभाग के इन हांफते उद्योगों में नई ऊर्जा का संचार करना होगा, जिससे इस क्षेत्र का विकास फिर गति पकड़ सके।
फिर भी नहीं आ रहा निवेश
मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमपीआईडीसी) के पास प्रदेश में सबसे अधिक लैंड बैंक ग्वालियर अंचल में होने के बावजूद यहां उद्योगों का विकास नहीं हो रहा है। एमपीआईडीसी के पास कुल 1815 हैक्टेयर लैंड बैंक है। इसमें मालनपुर-घिरौंगी में 1327, फूड पार्क में 62, बानमोर में 274, जड़ेरुआ में 28, स्टोन पार्क में 36, सीतापुर फेस-1 में 54, रेडीमेड गारमेंट पार्क में 20, फूड क्लस्टर बरोदी में 13 हैक्टेयर लैंड बैंक शामिल है।
ये बड़े उद्योग हो चुके बंद
ग्रेसिम, जेसी मिल, सिमको, स्टील फाउंड्री, एमपी आयरन, हॉटलाइन सीपीटी लिमिटेड, हॉटलाइन टेलीट्यूब कंपोनेंट, हॉटलाइन ग्लास, रोहिणी स्ट्रिप, रेशम पॉलीमर्स, एटलस साइकिल, लेनिनस राकूल, बानमोर में मैग्नम स्टील, स्पोर्ट इक्विपमेंट, एरोफिल पेपर, डबल त्रिशूल आटा आदि उद्योग बंद हो चुके हैं।
बानमोर: 70 से अधिक यूनिट बंद | 1974 में 274 हैक्टेयर में बानमोर औद्योगिक क्षेत्र तैयार किया गया। इसमें 70 से अधिक यूनिटें बंद हैं, जिससे करीब ढाई हजार लोग बेरोजगार हो चुके हैं। फिलहाल यहां जेके टायर के साथ छोटी-बड़ी 130 फैक्ट्री काम कर रही हैं। |
सीतापुर प्लांट निर्माणाधीन | 2016 में मुरैना इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के प्रवेश द्वार पर बने सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र को 385 हैक्टेयर में विकसित किया जा रहा है। यहां मयूर यूनिकार्टस लिमिटेड का 25 एकड़ जमीन पर प्लांट निर्माणाधीन है। |
मालनपुर : 331 भूखंड खाली, कई बड़े प्लांट बंद | बड़े उद्योगों के लिए मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र 1989 में 1327 हैक्टेयर में बनाया गया था। यहां 543 भूखंड में से 331 अभी भी खाली हैं। फिलहाल 21 बड़े प्लांट काम कर रहे हैं। 8-9 प्लांट बंद हो चुके हैं। 3 हजार लोग बेरोजगार हो चुके हैं। |
रेडीमेड गारमेंट पार्क | 6 साल में 1 यूनिट लगी 2012 में गदाईपुरा में 20 हैक्टेयर में 35 करोड़ की लागत से पार्क बनाया गया। 220 भूखंड में से 154 आवंटित नहीं हुए। 6 साल में एक यूनिट ही लग पाई है। |
प्लास्टिक पार्क काम आगे नहीं बढ़ा | 2017 में बिलौआ में 43.643 हैक्टेयर जमीन पर 84 करोड़ 73 लाख रुपए की लागत से प्लास्टिक पार्क की स्थापना को मंजूरी दी गई। 108 प्लास्टिक इकाइयों को स्थापित करने की योजना है। काम आगे नहीं बढ़ सका है। |
उद्योगों के बंद होने के कारण
ये हो सकते हैं समाधान
ब्रांडिंग करने में असफल रहे
ग्वालियर की ब्रांडिंग नहीं हो पाती है। इसमें बड़ी बाधा स्थानीय राजनैतिक नेतृत्व में इच्छाशक्ति का अभाव है। यदि सभी राजनैतिक दल, औद्योगिक संगठन और प्रशासनिक अधिकारी एक साल का एजेंडा लेकर जुट जाएं तो अंचल अपना पुराना वैभव प्राप्त कर सकता है।
आशीष वैश्य, जोनल चेयरमैन, सीआईआई
राजनेताओं के प्रयासों में कमी
उद्योगों के विकास में राजनेताओं के प्रयासों में कमी रही है। सरकारों ने भी ध्यान नहीं दिया। एयर कनेक्टिविटी की कमी भी एक बड़ा कारण है। पिछले कुछ वर्षों में यहां कोई नया उद्यम नहीं आया है। बड़े नए उद्यमी यहां निवेश के लिए आएं, इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे।
विजय गोयल, अध्यक्ष, मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
देखते-देखते बंद हो गए उद्योग
देखते-देखते कई बड़े-छोटे उद्योग बंद हो चुके हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या कच्चा माल नहीं मिलने की है। नए उद्यमी यहां आ सकें, इसके लिए कुछ नया आकर्षण करना होगा। लगातार उद्योगों के बंद होने से हजारों लोगों का रोजगार भी यहां से चला गया।
कमल शर्मा, अध्यक्ष, तानसेन नगर औद्योगिक क्षेत्र
लोगों को जागरूक कर रहे
पिछले कुछ वर्षों में ग्वालियर अंचल के उद्योगों में काफी कमी आई है। नए सिरे से यहां उद्योगों का विकास हो सके, इसके लिए सरकार ही नहीं सभी को प्रयास करने होंगे। हमारी ऐसोसिएशन सेमिनार आदि कर लोगों को जागरूक कर रही है।
केके मित्तल, सचिव, बानमोर औद्योगिक क्षेत्र
नए उद्यमियों को आमंत्रित कर रहे
कुछ समय में उद्योग कम हुए हैं, इसके कई कारण हैं। नए उद्यमी यहां यूनिट्स लगाएं, इसके लिए उन्हें आमंत्रित किया जा रहा है। आगरा और दिल्ली के चैंबर ऑफ कॉमर्स से भी बात कर रहे हैं। बानमोर और मालनपुर में बंद हुए उद्योंगों की जमीन के दोबारा आवंटन की कार्रवाई भी करेंगे।
सुरेश कुमार शर्मा, एमडी, एमपीआईडीसी