Sawan Somwar बिलपांक में परमार काल का विरुपाक्ष महादेव मंदिर, जानिए यहां के शिवलिंग की खासियत यह मंदिर अनेक ऐतिहासिक गाथाएं संजोए हुए हैं. कहते हैं कि ओरछा नरेश वीरसिंह जू ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में करवाया था. धूमेश्वर मंदिर के चारों ओर कलकल बहता झरना इस स्थान को और मनमोहक बनाता है. इसके नाम को लेकर भी एक बात प्रचलित है. कहते हैं सिंध नदी का पानी काफी ऊपर से झरने के रूप में गिरता है. पानी की यह धार धुएं के रूप में प्रतीत होती है. इसलिए इसे धूमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
Sawan 2021 चौंसठयोगिनी मंदिर- भगवान गौरीशंकर के कहने पर नर्मदा ने बदल दी थी दिशा सिंधिया राजवंश ने कराया जीर्णोद्धार
महंत अनिरुद्ध महाराज बताते हैं कि यह मंदिर पहले नागवंशीय शासकों द्वारा बनवाया गया था. यह मंदिर नरबलि के लिए प्रसिद्ध था. बताते हैं कि मुगल शासकों ने मंदिर नष्ट कर दिया था. बाद मे ओरछा नरेश वीरसिंह ने एक ही रात में मंदिर का निर्माण कराया. जीर्णोद्धार 1936 में ग्वालियर नरेश जीवाजी राव सिंधिया के कार्यकाल में किया गया.
महंत अनिरुद्ध महाराज बताते हैं कि यह मंदिर पहले नागवंशीय शासकों द्वारा बनवाया गया था. यह मंदिर नरबलि के लिए प्रसिद्ध था. बताते हैं कि मुगल शासकों ने मंदिर नष्ट कर दिया था. बाद मे ओरछा नरेश वीरसिंह ने एक ही रात में मंदिर का निर्माण कराया. जीर्णोद्धार 1936 में ग्वालियर नरेश जीवाजी राव सिंधिया के कार्यकाल में किया गया.