ग्वालियर

इस योजना से बनी एमपी की लाड़ली बहना लखपति, जानें कैसे कमाए इतने पैसे?

Drone Didi: ड्रोन उड़ाकर ग्वालियर की निधा अख्तर लखपति बन गई। निधा ने केंद्र सरकार की ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ के तहत ट्रेनिंग लेने के बाद किसानों के खेत में नैनो खाद का छिड़काव किया।

ग्वालियरDec 21, 2024 / 08:01 pm

Akash Dewani

Drone Didi: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में इन दिनों एक नाम बहुत तेजी से प्रचलित हो रहा है। यह नाम है ‘ड्रोन दीदी’ निधा अख्तर का जिसने केंद्र सरकार की योजना का इस्तेमाल कर लाखों रूपए कमाना शुरू कर दिया। इस योजना का नाम ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ (Namo Drone Didi scheme) है जिसमे महिलाओं को कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस योजना का इस्तेमाल कर ग्वालियर के मोहना नगर परिषद में रहने वाली निधा अख्तर ने आस-पास के किसानों के खेत में ड्रोन के माध्यम से नैनो खाद का छिड़काव किया।

एमआईटीएस कॉलेज में ली ट्रेनिंग

निधा अख्तर को ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ (Namo Drone Didi scheme)के तहत उन्हें ग्वालियर के एमआईटीएस कॉलेज में इफको द्वारा मुफ्त ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के बाद, उन्हें संचालनालय नागर विमानन मंत्रालय से ड्रोन पायलट का लाइसेंस मिला। इस योजना के तहत इफको ने उन्हें एक ड्रोन, एक इलेक्ट्रिक गाड़ी और एक जनरेटर भी उपलब्ध कराया।
इसके बाद निधा ने मोहना और आसपास के गांवों के 325 किसानों के 2250 एकड़ रकबे पर धान, मटर, सरसों, टमाटर और अन्य फसलों पर नैनो खाद का छिड़काव किया। नैनो खाद के छिड़काव के जरिए न केवल किसानों की लागत और समय की बचत हुई, बल्कि पर्यावरण के लिए भी यह पहल लाभकारी साबित हुई। निधा का कहना है कि इस काम से उन्होंने केवल चंद महीनों में साढ़े 3 लाख रूपए की कमा लिए है।
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क्या है ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ ?

नमो ड्रोन दीदी योजना (Namo Drone Didi scheme) केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका लक्ष्य महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) को कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए ड्रोन तकनीक से लैस करके सशक्त बनाना है। इस योजना का लक्ष्य 2024-25 से 2025-2026 की अवधि के दौरान 15000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्य के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए ड्रोन प्रदान करना है।
हालांकि, अभी ड्रोन सिर्फ तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के उपयोग के लिए दिया जा रहा है। इस पहल से किसानों को कृषि में निवेश बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा उम्मीद यह भी लगाई जा रही है कि स्वयं इस योजना से सहायता समूह हर साल कम से कम 1 लाख रूपए की अतिरिक्त आय अर्जित कर सके।

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