ग्वालियर। ग्वालियर से करीब 100 किमी दूर स्थित भांडेर के ग्राम भर्रोली में बना एक शिव मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके चलते 12वीं सदी में खजुराहो की तर्ज पर निर्मित यह मंदिर बरबस लोगों को अपनी ओर अंाकर्षित कर लेता है। राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर में शिवलिंग को औरंगजेब ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। कई सालों बाद ग्रामीणों ने ही इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कराई। इसके बाद 2014 में केमिकल ट्रीटमेंट से पुरातत्व विभाग इसके पुराने वैभव को भी लौटा लाया है। इस मंदिर में खुजराहो शैली की झलक व इसकी खूबसूरती को देखकर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे।यह भी पढ़ें- सावन में इनकी पूजा से भगवान शिव होंगे जल्दी प्रसन्न, जानिये कौन हैं ये देव?साफ है खजुराहो शैली की झलकभांडेर से 8 किमी दूर ग्राम भर्रोली के बीच पत्थरों से बना शिव मंदिर गांव तक आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। गांव कई बुजुर्गों के अनुसार उनके पुर्खे इसेे 12वीं सदी का बताते थे। मंदिर को अगर गौर से देखा जाए तो इसे खजुराहो की तर्ज पर बनाने का प्रयास किया गया है।औरंगजेब ने किया था क्षतिग्रस्तगांव के बुजुर्गों के अनुसार मंदिर के शिवलिंग को मुगल शासक औरंगजेब के समय में क्षतिग्रस्त किया गया था। काफी समय तक शिवलिंग क्षतिग्रस्त रहा। बाद में ग्रामीणों ने शिवलिंग की मरम्मत करवा दी।शिवरात्रि को लगता है यहां मेलाआम दिनों में तो मंदिर पर गांव के लोग ही पूजा अर्चना के लिए जाते है, लेकिन वर्ष में एक बार मंदिर में मेला भी लगता हैं। शिव मंदिर होने से महाशिवरात्रि पर मंदिर में आसपास के क्षेत्र के लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।यह भी पढ़ें- इन बीमरियों में कारगर इलाज है आंवला, जानिये इसके गुणनहीं है कोई जोड़मंदिर को पूरी तरह से पत्थर का बनाया गया है। मुख्य बात यह है कि इन पत्थरों के बीच में कहीं भी जोड़ नहीं है। मंदिर के निर्माण में कहीं भी सीमेंट का गारे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पत्थर पर पत्थर रख कर ही इस विशाल मंदिर का निर्माण किया गया है। यहां पत्थरों पर की गई नक्काशी भी देखने लायक है। मंदिर राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन हैं। वर्ष 2014 में पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर का कैमिकल ट्रीटमेंट किया गया था, इससे मंदिर की सुंदरता और अधिक निखर कर लोगों के सामने आ गई है।