जीवाजी विवि की कुलपति से काफी सीख है
अकादमिक से प्रशासक की भूमिका मिलने पर किस तरह से इसे देखतीं है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जीवाजी विवि की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला से काफी कुछ सीखने को मिला है, इसका फायदा मुझे मिलेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रशासक बनने पर अकादमिक से दूर रहेंगी तो उन्होंने हंसकर जवाब दिया कि मेरा मूल स्वभाव तो अकादमिक और एक प्रोफेसर का है, मैं चाहूंगी कि समय निकालकर खासकर गणित की क्लास जरूर लूं।
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बेकार की राजनीति पर न ध्यान दें छात्र
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छात्रों को पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए और बेकार की राजनीति नहीं करना चाहिए। संस्थान और छात्र दोनों को अपने दायित्व निभाना चाहिए तभी दोनों का विकास संभव है।
स्टॉफ से बात कर बनाऊंगी तालमेल
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई विवि में धारा 52 लगाकर कुलपति को हटाया गया था, आखिर ऐसा क्यों हुआ इस संबंध में स्टॉफ से चर्चा कर तालमेल बैठाने की कोशिश करूंगी। इसके अलावा जो विवि में कमियां हैं उन्हें दूर करना पहली प्राथमिकता होगी। सबसे पहले यहां एंट्रेंस एग्जाम न होने के कारण जो एडमिशन की प्रोसेस में देरी हुई है उसे सबसे पहले सुलझाने का प्रयास किया जाएगा जिससे एडमिशन हो सकें और समय पर सेशन शुरू हो सके।
गलत बात सहने की जरूरत नहीं
एक महिला होने के नाते जीवन में कठिनाईं का सामना करते हुए उन्होंने कहा कि शुरू में जब पढ़ाई कर रही थी तब तो एक लडक़ी को जिस तरह की बातों का सामना करना पड़ता है वह मैंने भी किया। हालांकि जब प्रोफेसर बन गई तो एक महिला होने का फायदा ही मिला है। पढाई के दौरान की एक बात याद करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार लूना से विवि आ रही थीं तभी एक छात्र नेता ने उनकी लूना पकड़ ली इस पर उन्होंने जबरदस्त तरीके से उसकी क्लास ली। प्रो. रेनू जैन ने कहा कि छात्राओं को किसी भी तरह की कोई गलत बात सहने की जरूरत नहीं है, उसका डटकर विरोध करना चाहिए। अगर कोई परेशान कर रहा है तो कई प्लेटफार्म हैं जहां पर वह शिकायत कर सकती हैं, लेकिन उन्हें चुप रहने की जरूरत नहीं है।