ग्वालियर। लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा और व्रत शुक्रवार को रखने का विधान है। देवी लक्ष्मी धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। कहा जाता है सुख और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी सदैव कर्म और कर्तव्य से जुड़े व्यक्ति पर हमेशा मेहरबान रहती है। यह भी पढ़ें- ऐसे मिलेगी हनुमान जी की कृपा देवी लक्ष्मी कमल पर बैठती हैं और हाथ में कमल ही धारण करती हैं। शास्त्रों में इनका निवास भी कमलवन बताया गया है। इन्हें धन की देवी और शुक्रवार लक्ष्मी जी के भजन पूजन के लिए विशेष माना जाता है। यह भी पढ़ें- ऐसे करें श्री गणेश जी को प्रसन्न शुक्रवार के दिन ऐसे करें देवी लक्ष्मी को प्रसन्न शुक्रवार के दिन लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा और व्रत रखने का विधान है। देवी लक्ष्मी धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर कि दरिद्रता दूर होती है। ये व्रत 7, 11 या 21 शुक्रवार या अपनी इच्छा के अनुसार आप कितने भी कर सकते हैं। लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें लाल फूल चढाएं, सफेद चंदन उन्हें तिलक तथा चावल और खीर से देवी को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। सात्विक भोजन करें व्रत खोलते समय खीर जरूर खाएं। कुछ जानकारों के अनुसार यह दिन मां दुर्गा का भी माना जाता है, अत: दुर्गा सप्तशति का पाठ भी इस दिन सारी मनोकामनाएं पूरी करता है। यह भी पढ़ें- गुरुवार को करें ये काम तो मिलेगी सफलता क्या कहते हैं ज्योतिष ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है, तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष एवं पीड़ा दायक होती है। शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं. व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार होने लगता है। यह भी पढ़ें- जानिये कहा और कैसे शुरू हुई थी शिवलिंग की पूजा कुंडली में शुक्र – शुक्र वृष और तुला राशियों का स्वामी है। यह मीन राशि में उच्च का तथा कन्या राशि में नीच का माना जाता है। तुला 20 अंश तक इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है। शुक्र अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभकारक कहा गया है। जनम कुंडली में शुक्र सप्तम भाव का कारक होता है। यह भी पढ़ें- यहाँ गिरी थी सती माता की नाभि, ये है सिद्धपीठ की कहानी जिनकी कुंडली में शुक्र अशुभ है वो निम्न उपाय करे 1. शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें। 2. परफ्युम या इत्र का प्रयोग शुक्र को बलवान बनाता है। 3. किसी नेत्रहीन व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिठाई का दान करना चाहिए। 4. दस वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं। 5. मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें। 6. “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” मंत्र के 108 उच्चारण कर ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप , श्वेत पुष्प, अक्षत आदि से पूजन करें 7. चांदी का कड़ा पहनें, श्रीसूक्त का पाठ करें। यह भी पढ़ें- राजा विक्रमादित्य ने यहां चढ़ाया था अपना 11 बार शीश, जानिये पूरी कहानी शुक्र को शुभ करने के यह भी हैं उपाय 1. शुक्र की अशुभता दूर करने के लिए सामर्थ्य अनुसार रुई और दही को मंदिर में दान करना चाहिए। शुक्र को शुभ करने के लिए गाय को हरा चारा खिलाना और सच्चे मन एवं श्रद्धा भाव के साथ गाय की सेवा करनी चाहिए। 2. स्त्री एवं अपनी पत्नी का कभी भी अपमान या निरादर नहीं करना चाहिए, उन्हें सदैव आदर और सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए। चांदी से बनी ठोस गोली सदैव अपने पास रखने से शुक्र की शुभता में इजाफा होगा। 3. शुक्र की शुभता के लिए शुक्रवार का व्रत करना चाहिए तथा नियमित रुप से मंदिर में जाकर माथा टेकना चाहिए। 4. मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए। शुक्र मन और इन्द्रियों को नियंत्रित रखने पर विशेष बल देता है। गाय को हरा चारा खिलाने से शुक्र की अशुभता में कमी आती है। गाय का पीला घी मंदिर में दान करने से भी शुक्र को बल मिलता है।