ग्वालियर। दुनिया भर में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है डेंगू, जो की संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। एक सक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों में डेंगू फैला सकता है। इस रोग में स्थिति गम्भीर होने पर मरीज की प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होते हुए नाक, कान, मुंह या अन्य अंगों से रक्त स्राव शुरू हो जाता है, साथ ही रक्तचाप काफी कम हो जाता है। यदि समय पर उचित चिकित्सा ना मिले तो रोगी कोमा में तक चला जाता है।
इसके अलावा बहुत से अन्य रोगों व अन्य बुखार आदि के लक्षण भी डेंगू से मिलते जुलते हो सकते हैं और कभी कभी रोगी में बुखार के साथ सिर्फ 1- 2 लक्षण होने पर भी डेंगू पॉजिटिव आ सकता है। इसलिए जानकारों के मुताबिक सभी लक्षणों के प्रकट होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। यदि बुखार 1 -2 दिन में ठीक ना हो तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाकर चेक-अप करवाना चाहिए, क्योंकि कोई भी बुखार डेंगू हो सकता है।
डेंगू के लक्षण – तेज बुखार, मांस पेशियों एवं जोड़ों में भयंकर दर्द, सर दर्द, आखों के पीछे दर्द, जी मिचलाना, उल्टी-दस्त तथा त्वचा पर लाल रंग के दाने आदि।
डेंगू से ऐसे करें बचाव –
1. घर में व घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
2. यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
3. कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। बारिश का पानी निकालने वाली नालियों, पुराने टायरों, बाल्टियों, प्लास्टिक कवर, खिलौनों और अन्य जगह पर पानी रुकने न दें।
4- स्विमिंग पूल का पानी बदलते रहें और उसे चलता रखें।
5- दीवारों, दरवाजों और खिड़कियों की दरारों को भर दें।
6- बच्चें को सुलाने वाले कैरियर और अन्य बिस्तर को मच्छरदानी से ढक दें।
7. ऐसे कपड़ेे पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
8. मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव के लिए करें।
9. सूर्य उदय और अस्त के समय व शाम को घर के अंदर रहें, क्योंकि मच्छर इस वक्त ज्यादा सक्रिय होते हैं।
यह हैं डेंगू से बचने के आयुर्वेदिक व प्राकृतिक तरीके –
1. घर की खिड़की आदि में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छरों से बचाव होता है।
2. नीम की सुखी पत्तियों व कर्पूर की घर में धूनी करने से मच्छर मर जाते हैं या कोने व पर्दों आदि के पीछे छिपे हुए मच्छर घर के बाहर भाग जाते हैं।
3. नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली , पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आंवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है।
4. 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें , 4-5 तुलसी के पत्ते व 2-3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। 250 एमएल शेष रखें , इसे तीन बार में बराबर मात्रा में लें। यह काढ़ा डेंगू, स्वाइन फ्लू एवं चिकन गुनिया जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाने में बहुत उपयोगी है।
याद रखें डेंगू की कोई विशिष्ट चिकित्सा अभी तक उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है। बुखार कैसा भी हो यदि जल्दी आराम ना मिले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और मच्छरों से बचाव और शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाएं। यही डेंगू से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।
यह हैं घरेलू नुस्खे
1. गिलोय: गिलोय का आयुर्वेद में बहुत महत्व है। यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने और बॉडी को इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है। जानकारों के अनुसार इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सर्व किया जा सकता है। इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जा सकते हैं।
2. पीपते के पत्ते: आयुर्वेद के चिकित्सकों के मुताबिक यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में हेल्प करता है। साथ ही, बॉडी में दर्द, कमजोरी महसूस होना, उबकाई आना, थकान महसूस होना आदि जैसे बुखार के लक्षण को कम करने में सहायक है।” आप इसकी पत्तियों को कूट कर खा सकते हैं या फिर इनके रस को ड्रिंक की तरह भी पिया जा सकता है, जो कि बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करते हैं।
3. मेथी के पत्ते: यह पत्तियां बुखार कम करने के लिए सहायक हैं। यह पीड़ित का दर्द दूर कर उसे आसानी से नींद में मदद करती हैं। इसकी पत्तियों को पानी में भिगोकर उसके पानी को पीया जा सकता है। इसके अलावा, मेथी पाउडर को भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं।
4. गोल्डनसील: यह नार्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक हर्ब है, जिसे दवाई बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस हर्ब में डेंगू बुखार को बहुत तेजी से खत्म कर शरीर में से डेंगू के वायरस को खत्म करने की क्षमता होती है। यह पपीते की पत्तियों की तरह ही काम करती हैं और उन्हीं की तरह इन्हें भी यूज किया जाता है। इन्हें कूट के सीधे चबाकर या फिर इनका जूस पीकर लाभ उठाया जा सकता है।
5. हल्दी: यह मेटाबालिज्म बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यही नहीं, घाव को जल्दी ठीक करने में भी मददगार साबित होती है। हल्दी को दूध में मिलाकर पीया जा सकता है।
6. तुलसी के पत्ते और काली मिर्च: आयुर्वेद से जुड़े लोगों के मुताबिक तुलसी के पत्तों और दो ग्राम काली मिर्च को पानी में उबालकर पीना सेहत के लिए अच्छा रहता है। यह ड्रिंक आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और एंटी-बैक्टीरियल तत्व के रूप में कार्य करती है।