डेंगू के लक्षण होने पर तेजी से प्लेटलेट गिरती है, जिससे मरीज अस्पताल तक पहुंच जाता है। लेकिन अगर लोग थोड़ी सी भी सावधानी रखें तो डेंगू से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।
शहर में डेंगू से हुईं चार लोगों की मौत में भी यही बात सामने आई है कि डेंगू के लक्षण आने के बाद भी यह लोग झोला छाप डॉक्टरों के चक्कर में घूमते रहे। जब तबियत ज्यादा बिगड़ी तो अस्पतालों में भर्ती हुए। ऐसे में डेंगू के साथ दूसरी बीमारी ने भी इन मरीजों को घेर लिया। शनिवार को 33 मरीजों को डेंगू निकला, जिनमें 28 बच्चे हैं। सितंबर महीने में अभी तक 457 मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं जनवरी से अब तक डेंगू के मरीजों की संख्या 744 हो गई है।
स्कूलों में भी बताएं डेंगू के लक्षण
शहर में डेंगू नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षेत्रीय संचालक डॉ. नीलम सक्सेना की उपस्थिति में निजी होटल में डेंगू नियंत्रण कार्रवाई की समीक्षा तथा तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बैठक आयोजित की गई। जिसमें क्षेत्रीय संचालक ने कहा कि स्कूलों में भी छात्रों को बचाव के तरीके बताएं। सीएमएचओ डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने कहा कि वार्ड में सेक्टर मेडिकल ऑफिसर दैनिक कार्य की मॉनिटरिंग करें और कार्य में लापरवाही कर रहे कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करावे। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ विनोद दोनेरिया तथा जिला सलाहकार राजेश वर्मा ने डेंगू नियंत्रण के लिए शासन द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल तथा तकनीकी जानकारी देते हुए सभी उपस्थित कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण देते हुए विस्तृत जानकारी प्रदान की।