ये है मामला
गुड्डू सिंह, सोनू सिंह, संजय सिंह, अनिल सिंह अपने परिजन के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से मुरैना में खेती करने आए थे। वह अपने परिवार के साथ रह रहे थे। टेंटरा पुलिस थाने की पुलिस ने 22 नवंबर 2010 को इन चारों की फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी। दो दिनों तक शव को छिपाए रहे। जब मामला खुला तो थाना प्रभारी सहित 11 लोगों पर हत्या का केस दर्ज किया गया। मानवाधिकार आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया।
मामले की जांच सीआइडी कर रही है, लेकिन सीआइडी ने क्या जांच की, यह स्पष्ट नहीं किया। इसको लेकर अरविंद सिंह अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने तर्क दिया कि पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। हत्या में शामिल सभी पुलिस कर्मी हैं। इस कारण पुलिस ठीक से जांच नहीं कर रही है। आर्थिक सहायता भी नहीं दी है। इस हत्या में जो पुलिस कर्मी शामिल हैं, वह पुलिस विभाग में नौकरी भी कर रहे हैं। याचिकाकर्ता का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिया है कि इस मामले की वस्तु स्थिति स्पष्ट करें।
इनके ऊपर है हत्या का आरोप
– अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि सबलगढ़ के थाना प्रभारी एसएन दुबे, टेंटरा थाने के प्रभारी अनिल भदौरिया, प्रधान आरक्षक रामअवतार, रवि प्रकाश, आरक्षक सोनपाल, रामकुमार, अवनीश, रामनिवास, अशोक, कुलदीप, अनिल तोमर शामिल थे।
– पुलिस कर्मियों का कहना था कि मुखबिर की सूचना पर पहुंचे थे। डकैतों की जानकारी मिली थी। पुलिस कर्मियों ने इस आधार पर मौके पर पहुंचना बताया, लेकिन अधिवक्ता तोमर का कहना है कि निर्दोष लोगों की पुलिस ने हत्या की है।
– इस पूरे घटना क्रम में शामिल पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार करने की मांग की गई है। मुआवजे के 5-5 लाख रुपए भी दिलाए जाएं।
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