नकली दूध बनाने वाले मिलावटखोरी छिपाने के लिए तमाम पैंतरे अपनाते हैं, इसलिए उनसे दूध खरीदने वाली नामी गिरामी कंपनियां भी धोखा खा जाती हैं। पूछताछ में आरोपी संतोष भदौरिया ने बताया कि नकली दूध बनाने के लिए शैंपू और रिफाइंड का घोल मिलाकर शुरुआत की जाती है। आम ग्राहक को दूध बेचते समय पकड़े जाने का खुटका नहीं रहता, लेकिन कंपनी को दूध की सप्लाई होती है तो वहां लैब में दूध में मिलावट पकड़े जाना तय है, इसलिए दूध में देसी चूना भी मिलाते हैं। इससे शैंपू का असर दब जाता है और लैब की मशीन भी दूध में मिलावट नहीं पकड़ पाती।
भिंड में नकली दूध के कारोबार का सरगना राजीव गुप्ता अंडरग्राउंड है, उसके सभी मोबाइल भी बंद हैं। उसके जहां छिपे होने की संभावना थी वहां खंगाला जा चुका है, लेकिन वहां उसकी मौजूदगी नहीं मिली है। आशंका है कि वह किसी दूसरे प्रदेश में सुरक्षित ठिकाने पर दुबका है। उसके बारे में जानकारी रखने वालों ने एसटीएफ को बताया कि कुछ साल पहले तक उसकी माली हालत खराब थी, जब से उसने दूध का कारोबार शुरू किया उसकी संपति में लगातार इजाफा होता गया। पैसे के बूते पर उसने राजनीति के दंबगों से नजदीकी बना ली। उनके बूते पर ही वह बचने की कोशिश कर रहा है।
सोमवार को सुबह यातायात पुलिस ने मुरैना से दूध लेकर लाए लाखन सिंह गुर्जर निवासी बूमरबसई और रामगोपाल सिंह गुर्जर निवासी जड़ेरुआ मुरैना को घेर लिया। दोनों करीब 180 लीटर दूध पिकअप वैन एमपी 06 जीए 1563 और एमपी 06 जीए 1310 में लेकर आए थे। यातायात डीएसपी नरेश अन्नोटिया ने बताया कि दोनों गाडिय़ों में एल्यूमीनियम की टंकियों में दूध भरा था। उन्हें पकडकऱ बहोड़ापुर थाने ले जाकर खाद्य विभाग की टीम को बुलाकर दूध की सैंपलिंग कराई। दूध लेकर आए लाखन सिंह का कहना था कि वह गांव में मवेशी पालने वालों से दूध खरीदकर शहर में लाते हैं। यहां साइकिल पर टंकी रखकर घरों में दूध बांटते हैं। उसकी लोडिंग गाड़ी में साइकिल भी रखी मिली। जबकि रामगोपाल का कहना था कि वह पंजाब डेयरी पर दूध सप्लाई करता है। सारा दूध वहीं देने जा रहा था। फूड एंड सेफ्टी अधिकारी सतीश शर्मा के मुताबिक दोनों दूध कारोबारियों से मिले दूध का सैंपल कर लेकर जांच के लिए भोपाल भेजा गया है, वहां से जो रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर कार्रवाई होगी।