ग्वालियर

पीएम मोदी पर विवादित बयान केस में 2 महीने 18 दिन जेल में रहे राजा पटेरिया दोषमुक्त, ‘झूठी निकली कहानी’

Congress Leader Raja Pateriya Acquitted: पीएम के खिलाफ दिए बयान के आधार पर पवई थाना पुलिस ने दर्ज किया था केस

ग्वालियरOct 08, 2024 / 12:53 pm

Sanjana Kumar

Congress Leader Raja Pateriya Acquitted: कांग्रेस नेता राजा पटेरिया पीएम मोदी को लेकर दिए जिस बयान व वायरल वीडियो के आधार पर दो माह 18 दिन जेल में रहे, पुलिस की वह अभियोजन कहानी कोर्ट में गलत निकली। गवाहों ने पन्ना के पवई थाना पुलिस की अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं किया। न पुलिस साक्ष्य जुटा सकी। बयान की सीडी व पैन ड्राइव भरोसे लायक नहीं थी। इसे चलते विशेष सत्र न्यायालय ने पूर्व मंत्री पटैरिया को दोषमुक्त कर दिया। पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था।
पुलिस ने 11 दिसंबर 2022 को केस दर्ज किया था। आरोप था कि पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस में जबरन प्रवेश किया। कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई। अचानक उठकर प्रधानमंत्री की हत्या की बात कही। धर्म व जाति के आधार पर शत्रुता बढ़ाने की भाषा का उपयोग किया। पुलिस ने केस दर्ज कर पटैरिया को गिरफ्तार कर लिया। जांच के बाद एमपी एमएलए कोर्ट में चालान पेश किया।

इसलिए अभियोजन कहानी पर नहीं भरोसा

पटेरिया के अधिवक्ता संजय शर्मा ने तर्क दिया कि पुलिस ने जो पैन ड्राइव प सीडी पेश की है, वह विश्वसनीय नहीं, क्योंकि कहीं भी जांच नहीं कराई है।
गवाह ने आवाज को पहचाननेसे भी इनकार कर दिया

वीडियो देख व सुन ट्रांसक्रिप्ट तैयार करने वाले गवाह ने भी अभियोजन कहानी की पुष्टि नहीं की।

केस सुनी-सुनाई बातों पर तैयार किया गया। साक्ष्य झूठे हैं।

याचिका में मांग… दस्तावेज एकसाथ पेश किए जाएं तो जल्द हो सकेगा निर्णय

जबलपुर. हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर जमानत और सजा के निलंबन में होने वाली अनावश्यक देरी की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है। तर्क दिया गया है कि अगर अभियोजन पक्ष की ओर से क्राइम हिस्ट्री से लेकर हिरासत सहित अन्य सभी तरह के रेकॉर्ड एक साथ पेश कर दिए जाएं तो आवेदन के निराकरण व निर्णय लेने में समय बच सकता है। इस पर निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने याचिका में ध्यान दिलाया कि दस्तावेज लाने के नाम पर सरकारी अभियोजकों की स्थगन मांगने की परंपरा सी बनती जा रही है। यदि जरूरी रेकॉर्ड पहली सुनवाई में उपलब्ध कराए गए और निर्णय में ही शामिल कर लिया गया तो अनावश्यक स्थगन को रोका जा सकेगा, न्यायिक समय की बचत होगी, प्रशासनिक मशीनरी पर बोझ कम होगा। राज्य पर वित्तीय बोझ भी कम होगा।

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