ग्वालियर। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में बालाघाट में संघ प्रचारक की पिटाई का असर साफ दिखाई दिया। यही वजह रही कि प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने सरकार को न केवल सीधी नसीहत दे दी, बल्कि उस चिंगारी को भी हवा दे दी, जिसमें कहा जा रहा है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हो गई है। विनय सहस्त्रबुद्धे ने प्रदेश कार्यसमिति में साफ कहा कि जब तंत्र हावी हो जाता है, तब मंत्र चला जाता है। ऐसे में दीनदयाल के मार्ग पर चलना कठिन होगा। दरअसल, भाजपा के कई बड़े नेता खुलेआम आरोप लगा चुके हैं कि प्रदेश में अफसरशाही हावी है। जनप्रतिनिधियों की बात सुनी नहीं जा रही है। माना जा रहा है कि विनय सहस्त्रबुद्धे ने इसी बात को आगे बढ़ाया है। उन्होंने बुधवार को कार्यसमिति के प्रमुख सत्र में पार्टी के पितृपुरूष दीनदयाल की राजनीतिक यात्रा विषय पर बोलते हुए प्रदेश सरकार के सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा दीनदयाल ने नीति विवेक आधारित राजनीति पर जोर दिया था। वे स्पष्ट कहते थे कि भ्रष्टाचार करने वालों की भाजपा में कोई जगह नहीं है। इस पर वर्तमान में नजर होना चाहिए। राजनीति में कथनी और करनी में अंतर नहीं हो। ऐसी स्थिति बन जाती है तो कई सफाई देना पड़ती है। इसे हम टाल नहीं सकते हैं। विनय ने प्रदेश के वर्तमान हालातों की तरफ संकेत करते हुए तंत्र के हावी होने की बात कही। सहस्त्रबुद्धे ने दीनदयाल के एक भाषण का जिक्र करते हुए कहा- राजनीति में कथनी और करनी में अंतर नहीं हो। ऐसी स्थिति बन जाती है तो कई सफाई देना पड़ती है। इसे हम टाल नहीं सकते हैं। विनय ने प्रदेश के वर्तमान हालातों की तरफ संकेत करते हुए तंत्र के हावी होने की बात कही। सहस्त्रबुद्धे ने दीनदयाल के एक भाषण का जिक्र करते हुए कहा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनका स्पष्ट रुख था। वे बोलते थे कि सिद्धांतों से कभी नहीं हटेंगे, भले ही पार्टी के सौ टुकड़े हो जाए। 37 में से 13 मंत्री आए भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में 37 मंत्रियों को शामिल होना था, लेकिन पहले दिन सिर्फ 13 ही उपस्थित रहे। बाकी 24 मंत्री क्यों नहीं आ पाए, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं था।