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अटलजी खाने-पीने के बेहद शौकीन थे। ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे पसंदीदा मिठाई बहादुरा के लड्डू और चिवड़ा नमकीन था। शुद्ध देशी घी की मिठाइयों की फेमस दुकान बहादुरा स्वीट्स के संचालक ने बताया कि अटलजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब भी कोई परिचित दिल्ली में उनसे मिलने जाता तो वो लड्डू लेकर जरूर जाता। उन्होंने बताया कि जब वे बहुत छोटे थे तब अटलजी उनके यहां पैदल चलकर लड्डू खाने आते थे। उस वक्त उनके लड्डू 4-6 रुपए प्रति किलो बिकते थे। हालांकि, इन दिनों दाम 400 रुपए किलो तक पहुंच चुका है। यह भी पढ़ें
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सायरन बजाती हुईं आई पुलिस की गाडियांसिटी के फालका बाजार स्थित नमकीन व्यवसायी सुन्नूलाल गुप्ता बेडर की दुकान के भी अटलजी ग्राहक रह चुके हैं। वे यहां स्पेशल चिवड़ा खाने आते थे। सुन्नूलाल ने बताया कि एक बार अटलजी विदेश मंत्री रहते हुए चुनावी सभा के सिलसिले में ग्वालियर आए थे। उनके आने की सूचना मुझे पहले मिल चुकी थी। उनके लिए चिवड़ा (नमकीन) तैयार करना था। चूंकि अटलजी की सारी सभाएं देर से चल रही थीं,इसलिए मैंने सोचा कि शायद आज वह ग्वालियर नहीं आएंगे और मैं दुकान बंद करके छत पर सो गया।
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इसी बीच, रात के 2 बजे पुलिस की गाडिय़ां सायरन बजाती हुईं मेरी दुकान के आगे आकर रुक गई और पुलिस के जवान बेट बजाने लगे। जब मैं नीचे उतरा तो उन्हीं गाडिय़ों के बीच एक कार में से केंद्रीय मंत्री अटलजी उतरे और बोले- मैं हूं अटल बिहारी, चिवड़ा तैयार है ? अटलजी को देखकर मेरे शरीर में स्फूर्ति आ गई और मैं झट से तैयार होकर दुकान के नीचे पहुंच गया। तत्काल चिवड़े का स्पेशल मेवों को मिश्रण कर उन्हें पैकेट दे दिया। इसके बाद मूल्य से ज्यादा पैसे उन्होंने मुझे दिए। ऐसा कभी नहीं हुआ कि अटल जी ने ज्यादा पैसे नहीं दिए हों। यह भी पढ़ें
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पौत्री नंदिता मिश्रा ने किया पिण्डदान
कानपुर में गंगा नदी किनारे सरसैया घाट पर रविवार को महिलाओं ने अपने पूर्वजों का तपर्ण किया। अक्सर पितृपक्ष में यह काम पुरुषों द्वारा किया जाता है,लेकिन कानपुर के इस घाट पर हर साल महिलाएं अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिण्डदान और श्राद्ध करती हैं। इस दौरान यहां पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का पिण्डदान और श्राद्ध किया गया। उनकी पौत्री नंदिता मिश्रा ने पिण्डदान और श्राद्ध किया।
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सरसैया घाट से था अटल जी का लगाव
गौरतलब है कि अटल की मृत्यु 16 अगस्त 2018 में हुई थी। पिछले साल भी नंदिता ने अटल जी का पिण्डदान और श्राद्ध किया था। इस दौरान उन्होंने बताया था कि अटल जी का सरसैया घाट से बहुत लगाव था। वो स्कूल के दिनों में यहीं आकर अपने मित्रों को कविताएं सुनाया करते थे।
पितृपक्ष में क्यों करते हैं पूर्वजों का श्राद्ध
बता दें कि आज पितृपक्ष अष्टमी है। 28 सितंबर तक पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है। माना जाता है पितृपक्ष के समय पू्र्वज धरती पर आते हैं। इसलिए उनके नाम से ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराने के साथ दान आदि भी कराया जाता है। जो लोग ऐसा नहीं करते उनके पितर भूखे-प्यासे ही धरती से लौट जाते हैं। इससे परिवार पर पितृ दोष लगता है।
बता दें कि आज पितृपक्ष अष्टमी है। 28 सितंबर तक पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है। माना जाता है पितृपक्ष के समय पू्र्वज धरती पर आते हैं। इसलिए उनके नाम से ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराने के साथ दान आदि भी कराया जाता है। जो लोग ऐसा नहीं करते उनके पितर भूखे-प्यासे ही धरती से लौट जाते हैं। इससे परिवार पर पितृ दोष लगता है।
अटल जी की बेटी है नमिता
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शादी नहीं की थी। लेकिन उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया था। जिसकी उन्होंने परवरिश करने के साथ शादी की और तमाम जरुरतों का ख्याल रखा। वैसे उनकी वसीयत तो सामने नहीं आई है। लेकिन 2005 में संशोधित हिन्दू उत्तराधिकार कानून की बात करें तो उसके अनुसार उनकी संपत्ति उनकी दत्तक पुत्री नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य को मिलने की उम्मीद है। इस नियम के अनुसार वो दोनों ही इस पूरी संपत्ति के मालिक होंगे।