ग्वालियर। प्रदेश की एकमात्र सरकारी दवा निर्माता फार्मेसी में दवाओं का उत्पादन तेजी से बढऩे के बाद भी आयुर्वेद अस्पतालों में दवा की किल्लत बनी हुई है, मरीज बाजार से दवाएं खरीदकर लाने को मजबूर हैं।आयुर्वेद महाविद्यालय के अस्पताल में मरीजों को दवा के लिए होने वाली परेशानी के बाद पत्रिका ने जब इस मामले की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि जिला आयुष अधिकारी और आयुर्वेद महाविद्यालय प्रबंधन फार्मेसी से दवाएं उठाने में लापरवाही बरत रहा है। इसका उदाहरण यह है कि वर्ष 2015-16 में 51 जिलों में से महज 33 और सात कॉलेज में से 6 ने दवा नहीं उठाई। वहीं वर्ष 2016-17 में अब तक 10 जिले और एक कॉलेज में ही दवा पहुंच सकी है।यह भी पढ़ें- मंत्रीजी, सुन रहे हैं- आपके अस्पताल में तो साधारण से इंजेक्शन और सिरिंज तक नहीं हैंआमखो स्थित आयुर्वेद कॉलेज के पास बनी आयुर्वेद फार्मेसी, जिसकी स्थापना 1981 में हुई थी। यहां पिछले दो दशक से औषधि बनाने का कच्चा मटेरियल न आने से फार्मेसी लगभग बंद पड़ी थी। पिछले तीन साल से यहां पर्याप्त मात्रा में रॉ-मटेरियल मिलने से उत्पादन बढऩे के साथ ही आयुर्वेद अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ। इस कारण फार्मेसी में होने वाले 35 से 40 प्रकार की दवाओं के उत्पादन को बढ़ाकर 75 से अधिक कर दिया गया, लेकिन अस्पतालों से समय पर डिमांड न भेजे जाने और दवाएं न उठाने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।अब रॉ-मटेरियल का एडवांस स्टॉकआयुष विभाग द्वारा फार्मेसी को एडवांस में रॉ-मटेरियल भेजा जा रहा है, जिससे अब यहां रॉ-मटेरियल की किल्लत नहीं है। हर साल अब करीब एक साल का रॉ-मटेरियल यहां स्टॉक करके रखा जाता है।यह भी पढ़ें- अस्पताल में जरूरत की सामग्री का स्टॉक लगभग खत्मअधिक उत्पादन का लक्ष्यफार्मेसी प्रबंधन ने दवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रोड्क्शन को बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। फार्मेसी प्रबंधन का लक्ष्य है कि आगामी दो वर्षों में प्रोड्क्शन का टारगेट पांच करोड़ रखा गया है। यदि शासन समय पर रॉ-मटेरियल देता रहे और मांगे गए संसाधन उपलब्ध कराए, तो यह लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकता है।फैक्ट फाइल51 कुल जिले, 07कॉलेज, 1400 औषधालययह भी पढ़ें- पॉउच वाला पानी पीते हैं तो हो जाइये सावधान!“रॉ-मटेरियल उपलब्ध होने के बाद फार्मेसी का प्रोडक्शन तेजी से बढ़ा है। एलोपैथी के साइड इफेक्ट के चलते लोगों का रुझान अब तेजी से आयुर्वेद की ओर बढ़ रहा है।”– डॉ. सुरेन्द्र प्रधान, सहायक अधीक्षक, शासकीय आयुर्वेद फार्मेसी, ग्वालियर