पापा ने सिर्फ एक ही बात कही थी, पहला मौका मिला है, खाली हाथ मत लौटना, ऐसा कुछ करके आना जिससे मुझे ही नहीं, देश को भी तुम पर गर्व हो। बस यही बात हर फाइट में मेरे जहन में गूंजती रही और मैं सिर्फ बॉक्सिंग रिंग में विरोधी खिलाड़ी पर पंच मारता रहा। आखिरकार सफलता हाथ लगी और देश के लिए कांस्य पदक जीत लिया। यह कहानी है ध्रुव सिंह की, जिसने हाल ही में कजाकिस्तान में खेली गई एएसबीसी एशियन अंडर-22 बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य पदक जीता है। ध्रुव सिंह की इस सक्सेस स्टोरी ने एक बार फिर आमिर खान की फिल्म दंगल की याद दिला दी। आप पढ़ें ध्रुव की सक्सेस स्टोरी…
ग्वालियर के रहने वाले ध्रुव बताते हैं, पापा खुद बॉक्सर थे, इसलिए बचपन से बॉक्सिंग की टेक्निक सीख गए थे। घर में पढ़ाई के साथ प्रैक्टिस करते थे और जल्द ही खेल में माहिर भी हो गए। वर्ष-2014 में पहली बार स्कूल नेशनल खेलने का मौका मिला, लेकिन पदक नहीं जीत सका। बस उसके बाद से जोश दोगुना हो गया। इसके बाद स्कूल नेशनल में पहली बार कांस्य पदक जीता। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
खेलो इंडिया में कांस्य पदक जीता और भारतीय कैंप के लिए चयन हो गया। दुर्भाग्य रहा कि कोविड आ गया और खेल नहीं सका। 2023 में खेलो इंडिया रजत पदक जीता। दिल्ली एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन की ट्रायल में भाग लेने का मौका मिला। 14 खिलाड़ियों में एक मैं भी था। 11 सर्विसेस के खिलाड़ियों को हराकर भारतीय टीम में चयन हुआ।