ग्वालियर

तीस साल बाद भी इन आदिवासियों को सिर पर छत का इंतजार

कच्चे घरों में रहने को मजबूर यहां के लोगों को शिकायत वोट मांगने आते हैं सरपंच आश्वासन देते हैं, जीतने के बाद कोई नहीं आता

ग्वालियरOct 18, 2022 / 02:15 pm

shailendra tiwari

कच्चे घरों में रहने को मजबूर लोग।

ग्वालियर/डबरा/छीमक। एक ओर जहां प्रदेश और देश की सरकार मध्यप्रदेश में दीपावली के शुभ अवसर पर करीब साढ़े चार परिवारों को गृह प्रवेश करवा रहे हैं, वहीं प्रदेश की दूसरी तस्वीर यह भी है कि पिछले 30 साल से अपने घर का सपना संजो रहे प्रदेश के आदिवासी आज भी घर का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल शासन की कई योजनाएं कई गांवों में यह महज कागाजों में सिमट कर रह गई हैं। ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत छोटी अकबई के अंतर्गत आने वाले छोटा बाबूपुर का सामने आया है।

 

30 साल पहले बसाई थी कॉलोनी
छोटा बाबूपर स्थित बसाई गई कॉलोनी में रहने वालों को 30 साल बाद भी योजना का लाभ नहीं मिल सका है। यह कॉलोनी करीब 30 साल पहले बसाई गई थी। इसमें आज तक किसी भी गरीब का इंदिरा आवास से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास नहीं मिल सका है।

कई बार की मांग, नहीं आता कोई
बरसात होने के दौरान लोगों की कच्ची झोपड़ी धराशाई हो गई हैं। कॉलोनीवासियों ने बताया कि कई बार पटवारी और सरपंच सचिव को फोन लगाकर अपने कच्चे घर दिखाने की मांग की। परंतु आज तक ना तो पटवारी आया, ना ही सरपंच सचिव कॉलोनी तक पहुंचे। कॉलोनी की महिलाओं का कहना है कि चुनाव के समय सब आश्वासन दे गए थे। लेकिन चुनाव निकलने के बाद न तो सरपंच आते हैं न ही सचिव आया है।

कलेक्टर को भी अवगत कराया
इस संबंध में ग्वालियर कलेक्टर को भी आवेदन देकर अवगत कराया गया है। लेकिन सुनवाई आज तक नहीं हुई। मनीराम बंशकार, मीना आदिवासी, दिनेश आदिवासी, अशोक बंशकार, लक्ष्मी बाई, चरण सिंह, मंजू भाई, इंदर सिंह आदि ने बताया कि 30 साल से रह रहे है। लेकिन अभी तक उन्हें आवास नहीं मिले है। पूर्व में इंदिरा आवास व वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी मकान नहीं बने है। वहीं इस पर कलेक्टर का कहना है कि मुझे अभी कॉलोनी के आवासों की जानकारी नहीं है। में सचिव द्वारा जानकारी लेकर बताऊंगा।

Hindi News / Gwalior / तीस साल बाद भी इन आदिवासियों को सिर पर छत का इंतजार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.