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पालकी यात्रा मंदिर परिसर से शुरू हुई। पालकी यात्रा में शामिल श्रद्धालु बारिश के दौरान जय अचलनाथ का जयघोष करते रहे। पालकी विराजमान अचलेश्वर महादेव को सोने का मुकुट पहनाया गया और फूलों से पालकी का श्रृंगार किया गया। यह भी पढ़ें
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पालकी यात्रा घोड़ा चौराहे से शुरू होकर पुराना हाईकोर्ट, पाटनकर बाजार, डिलाइट चौराहा होते हुए राममंदिर से वापस इसी मार्ग से मंदिर परिसर पहुंची। पालकी यात्रा का शहर में कई जगह श्रद्धालुओं ने फूल बरसा कर स्वागत किया।
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यहां उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सावन के अंतिम सोमवार को शहर में अचलेश्वर महादेव, कोटेश्वर, गुप्तेश्वर, हजारेश्वर, भूतेश्वर, मार्कण्डेश्वर, मंगलेश्वर महादेव, तिघरा के पास स्थित नलकेश्वर महादेव, गिरगांव स्थित महादेव सहित आस-पास के शिव मंदिरों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। श्रद्धालुओं द्वारा बिल्व पत्र, दूध, घी, चावल, पंचामृत एवं गंगाजल से अभिषेक किया गया।
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भगवान शिवजी के अलावा पार्वती, नंदी, गणेश एवं कार्तिकेय की पूजा-अर्चना की गई। सावन महीने के सोमवार को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह था। श्रद्धालुओं का कहना था कि सावन महीना भगवान शिवजी को समर्पित है, वहीं सोमवार शिवजी का दिन है, इसलिए इस दिन उमा सहित भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष कृपा मिलती है। कई स्थानों पर शिवलिंग निर्माण
सावन महीने में भगवान शिवजी की कृपा प्राप्त करने श्रद्धालु अपने-अपने तरीके से भक्ति में लगे हैं। मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ कई स्थानों पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण के आयोजन किए गए। इसके अलावा कई श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग तीर्थ दर्शनों के लिए गए हैं।
सावन महीने में भगवान शिवजी की कृपा प्राप्त करने श्रद्धालु अपने-अपने तरीके से भक्ति में लगे हैं। मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ कई स्थानों पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण के आयोजन किए गए। इसके अलावा कई श्रद्धालु द्वादश ज्योतिर्लिंग तीर्थ दर्शनों के लिए गए हैं।