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सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ पर बिल्वपत्र, जल एवं दूध चढ़ाने के साथ ही दीपक लगाए जाने का महत्व बताया जाता है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से हर साल श्रद्धालुओं के लिए 20 से 22 घंटे अंचलनाथ के दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं। रात एक बजे से अभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो सुबह छह बजे चलता है। सुबह की आरती के साथ आम दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खोला जाता है फिर नौ से दस बजे तक अभिषेक शुरू हो जाता है। यह सिलसिला पूरे माह चलता है। यह भी पढ़ें
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हर रोज पंद्रह सौ लीटर चढ़ेगा दूध
भगवान अचलनाथ का हर रोज दूध, दही मक्खन और जल से अभिषेक होगा। मंदिर से जुड़े श्रद्धालुओं के मुताबिक हर रोज भगवान अचलनाथ पर 1500 लीटर दूध चढ़ेगा। इस दूध को पात्र में डलवाए जाने की व्यवस्था की गई है। वहीं करीब तीन हजार लीटर जल से अभिषेक किया जाएगा। इसके अलावा बिल्व पत्र करीब आधा ट्रॉली हर रोज चढ़ेगा। ये संख्या हर सोमवार को तीन से चार गुना हो जाएगी। बाबा भोलेनाथ के अभिषेक करने वाले एवं दर्शन करने वालों की संख्या पांच से छह हजार रहेगी। वहीं ये संख्या सोमवार को 15 से 20 हजार तक रहेगी।
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रोक दिया जाएगा रास्ता
मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि श्रावण के सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए अचलेश्वर महादेव मंदिर के सामने से गुजरने वाले वाहनों को रोक दिया जाएगा। ये वाहन रोशनी घर के रास्ते से निकाले जाएंगे। श्रद्धालुओं के लिए जूता चप्पल के लिए स्टैंड की व्यवस्था की जाएगी। वहीं मंदिर परिसर पूरे समय स्वच्छ रखे जाने पर फोकस किया जाएगा।
“सावन माह में बाबा अचलनाथ के दर्शन करने हजारों श्रद्धालु आते हैं। दो से ढाई हजार लोग अभिषेक करते हैं। सोमवार को श्रद्धालुओं की तादाद ज्यादा होती है। बाबा पर हर रोज पंद्रह सौ लीटर तक दूध चढ़ेगा ओर तीन हजार लीटर जल से श्रद्धालु अभिषेक करेंगे।”
राजीव चड्ढा, पूर्व सचिव, श्री अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक ट्रस्ट
राजीव चड्ढा, पूर्व सचिव, श्री अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक ट्रस्ट