ग्वालियर। ठगी का पर्यायवाची शब्द है नटवरलाल। यह नामकरण कैसे हुआ यह तो अधिकांश लोग जानते होंगे, लेकिन यहां हम आपको वह 7 बातें बता रहे हैं जो आप में से कई शायद ही जानते हों। दरअसल सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अंजाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया। इस दौरान कानून की नजर में नटवरलाल की गतिविधियां भले ही अपराध हों, लेकिन वह इसे एक समाजसेवा मानता था।यह भी पढ़ें- गजब: ड्राइविंग लाइसेंस इश्यू से पहले ही हो गया एक्सपायरअपने जीवनकाल में करोड़ों रुपए ठगने वाले नटवर का कहना था कि वह लोगों से झूठ बोलकर पैसे मांगता है और लोग उसे देते हैं, इसमें उसका क्या कसूर। यही नहीं, नटवरलाल का दावा था कि अगर सरकार इजाजत दे तो वह ठगी के माध्यम से भारत का विदेशी कर्ज उतार सकता है। हम आपको उस नटवरलाल के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी ठगबुद्धि की वजह से कई दशकों तक भारत का मोस्ट वान्टेड मैन बना रहा।यह भी पढ़ें- परीक्षा के दिन भी नहीं खुला परीक्षा केंद्र का ताला1. नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह पेशे से एक वकील था। उसका जन्म सीवान जिले (बिहार) के जीरादेई गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बंगरा में हुआ था। अब नटवरलाल यहां दन्तकथाओं में याद किया जाता है।यह भी पढ़ें- हरियाली पर सरकारी सिस्टम ने लगाया पलीता2. नटवरलाल को वेश बदलने में महारत हासिल थी। उसने एक बार राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का फर्जी हस्ताक्षर कर ठगी की थी। नटवरलाल उसके 52 ज्ञात नामों में से एक था। कहा जाता है कि नटवरलाल ने धीरूभाई अम्बानी, टाटा और बिरला घटना के उद्योगपतियों के अलावा सरकारी अधिकारियों से भी ठगी की थी।यह भी पढ़ें- ऑटो में मीटर न चले तो कलेक्टर को वाट्सएप पर करें शिकायत3. उसने भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरों को बेचा था। जी हां नटवरलाल ने तीन बार ताजमहल, दो बार लाल क़िला और एक बार राष्ट्रपति भवन को बेच दिया। यही नहीं, एक बार तो उसने भारत के संसद भवन को भी बेच दिया था।यह भी पढ़ें- डॉक्टरों के कक्ष सूने, ओपीडी में मरीज घंटों होते रहे परेशान4. आपराधिक वारदातों को अन्जाम देने के बावजूद नटवरलाल के प्रशंसकों की संख्या कम नहीं थी। बिहार में उसके गांव के लोगों की मांग थी कि यहां नटवरलाल के नाम एक स्मारक की स्थापना की जाए। यहां लोग मानते हैं कि नटवरलाल एक भला आदमी था और लोगों की मदद करता था। नटवरलाल से प्रभावित होकर कई लोग उसके शागिर्द बने, लेकिन कोई भी उसके सरीखा नहीं हुआ।यह भी पढ़ें- पानी गिरते ही शर्म से गुलाबी हो गए रिश्वत लेने वाले हाथ5. नटवरलाल के जीवन से प्रेरित होकर बॉलीवुड में एक फिल्म बनी, मिस्टर नटवरलाल। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे अमिताभ बच्चन। इसके बाद राजा नटवरलाल नामक एक फिल्म बनी, जिसमें मुख्य भूमिका इमरान हासमी ने निभाई है।यह भी पढ़ें- अरे ये क्या, विश्वविद्यालय की राशि तक पचा गए कॉलेज संचालक 6. नटवरलाल को 113 साल की सजा हुई थी। मोस्ट वान्टेड अपराधियों में की लिस्ट में शुमार नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज थे। वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन प्रत्येक बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला। अंतिम बार जब वह पुलिस की पकड़ से भागा, तब उसकी आयु 84 साल थी। 24 जून 1996 को उसे कानपुर जेल से एम्स अस्पताल लाया जा रहा था। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा देकर वह भाग निकला। इस घटना के बाद उसे फिर कभी देखा नहीं जा सका।यह भी पढ़ें- 12वीं की सफलता दर में 56 प्रतिशत की डुबकी7. नटवरलाल ने मरने का नाटक कर भी लोगों से ठगी की थी। वर्ष 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दायर 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी। उसने दलील दी कि 25 जुलाई 2009 को नटवरलाल मर चुका है। लेकिन नटवरलाल के भाई का दावा था कि उसकी मौत करीब 13 साल पहले वर्ष 1996 में ही हो गई।यह भी पढ़ें- पॉउच वाला पानी पीते हैं तो हो जाइये सावधान!यह भी पढ़ें- लू: गर्मियों में स्वास्थ्य गिरावट का मुख्य कारण यह भी पढ़ें- गर्मियों की छुट्टियों मे यह करेंगे तो भविष्य में सफलता पक्की