अब कैसे होगी परवरिश
माता-पिता की मौत के बाद कोमल और उसके भाई बहन पूरी तरह बेसहारा से हो गए है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि इन पांचों भाई-बहनों की परवरिश कैसे होगी और कौन करेगा। क्योंकि गरीबी के बीच जीने वाले पांचों भाई बहनों की दादी नेत्रहीन है। जबकि चाचा श्योपुर में रहकर मजदूरी करता है। हालांकि मासूम भाई-बहनों को ऐसी हालत देख उसके नाना-नानी गोहेड़ा से अपने यहां गांव मठेपुरा ले आए है। मगर नाना-नानी की भी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वे भी इन पांचों भार्ई-बहनों की अच्छे से परवरिश कर सके।
ऐसे टूटा कुदरत का कहर
श्योपुर के ग्राम गोहेड़ा निवासी शंकर माहौर के चार बेटी और एक बेटा है। जिसमें सबसे बड़ी कोमल 14 वर्ष है और उससे छोटी लक्ष्मी 12 वर्ष, भूली 10 वर्ष, मोना छह वर्ष और सबसे छोटा ईश्वर 3 साल है। इस परिवार पर दुखो का पहाड़ गत 24 जून को तब टूटा,जब बाइक से पत्नी गायत्री व छोटे बेटे ईश्वर के साथ घर लौट रहे शंकर माहौर की बाइक कनापुर की पुलिया के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई।