ग्वालियर

पहले मां और फिर पिता की मौत 25 दिनों में 5 भाई-बहन हुए अनाथ

पांचों भाई-बहनों में सबसे बड़ी कोमल है। ऐसे में 14 साल की कोमल पर अपने भाई बहनों की परवरिश का जिम्मा आ गया है। लेकिन वह इस जिम्मेदारी को कैसे उठा पाएगी।

ग्वालियरSep 21, 2016 / 11:18 am

Gaurav Sen

orphan children


ग्वालियर । इसे बदकिस्मती कहे या फिर कुदरत का कहर। पहले सड़क हादसे ने बच्चों से मां छीन ली। फिर बीमारी ने पिता । यह किसी फिल्म की कहानी नहीं,बल्कि श्योपुर के गोहेड़ा गांव में घटित घटना है। जहां 25 दिन के अंतराल में हुई माता-पिता की मौत के बाद पांचों भाई-बहन अनाथ हो गए है।

पांचों भाई-बहनों में सबसे बड़ी कोमल है। ऐसे में 14 साल की कोमल पर अपने भाई बहनों की परवरिश का जिम्मा आ गया है। लेकिन वह इस जिम्मेदारी को कैसे उठा पाएगी। क्योंकि कोमल तो अभी नासमझ ही है। जबकि कुपोषण से हुई मौतों के मामले में उलझे प्रशासन को अभी इस तरफ देखने की फुर्सत ही नहीं है।


अब कैसे होगी परवरिश
माता-पिता की मौत के बाद कोमल और उसके भाई बहन पूरी तरह बेसहारा से हो गए है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि इन पांचों भाई-बहनों की परवरिश कैसे होगी और कौन करेगा। क्योंकि गरीबी के बीच जीने वाले पांचों भाई बहनों की दादी नेत्रहीन है। जबकि चाचा श्योपुर में रहकर मजदूरी करता है। हालांकि मासूम भाई-बहनों को ऐसी हालत देख उसके नाना-नानी गोहेड़ा से अपने यहां गांव मठेपुरा ले आए है। मगर नाना-नानी की भी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वे भी इन पांचों भार्ई-बहनों की अच्छे से परवरिश कर सके।


ऐसे टूटा कुदरत का कहर 
श्योपुर के ग्राम गोहेड़ा निवासी शंकर माहौर के चार बेटी और एक बेटा है। जिसमें सबसे बड़ी कोमल 14 वर्ष है और उससे छोटी लक्ष्मी 12 वर्ष, भूली 10 वर्ष, मोना छह वर्ष और सबसे छोटा ईश्वर 3 साल है। इस परिवार पर दुखो का पहाड़ गत 24 जून को तब टूटा,जब बाइक से पत्नी गायत्री व छोटे बेटे ईश्वर के साथ घर लौट रहे शंकर माहौर की बाइक कनापुर की पुलिया के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

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