दरअसल, दीवाली पर मिठाइयों की बढ़ती मांग की वजह से मावा की खपत चार गुनी तक हो गई है। बाजार में असली, अर्ध नकली और पूरी तरह से नकली मावा खपाया जा रहा है। नकली मावा को पकडऩे के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग भी अपने स्तर पर पूरा प्रयास कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिली है। बीते दो दिन में मोर बाजार और रेलवे स्टेशन पर हुई कार्रावाई में जो मावा मिला है, उसमें मिलावट होने की संभावना बेहद कम है, क्योंकि पूरे मावे के मालिक सामने आ गए हैं। पिछली बार की तरह अगर मावा नकली होता तो मालिक हमेशा अज्ञात ही रहता है। शुक्रवार को हुई कार्रवाई के दौरान भी पिकअप चालक संतोष नरवरिया ने मावा अटेर से लाने की बात को सभी के सामने स्वीकार किया। इसके साथ ही यह भी बताया कि पूरा मावा भोपाल भेजने के लिए ही ग्वालियर लाया गया है। ट्रेन से इसकी बुकिंग कराई जाएगी और भोपाल स्टेशन पर क्षेत्रीय थोक व्यापारी मावा छुड़ा ले जाएगा। पूरी जानकारी लेने के बाद एफएसओ गोविंद सरगैयां ने दो डलियों में से सेंपल लिए। यह सेंपल भोपाल स्थित लैब मेंं जांच के लिए भेजे जाएंगे।
अन्य दुकानों पर भी की गई सेंपलिंग
विभाग की दूसरी टीम में शामिल लोकेन्द्र सिंह, राजेश गुप्ता और बृजेश निम ने लश्कर क्षेत्र मेंं निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने चार दुकानों से सेंपल लिए हैं। सेंपलिंग के साथ ही दुकानों पर आने वाले ग्राहकों को मावे की पहचान करने का प्राथमिक तरीका बताया ताकि ग्राहक भी असली नकली की पहचान कर सकें।