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ग्वालियर

आपके दिए कचरे से रोज बनेगी 10 मेगावाट बिजली, सरकारें करेंगी मदद

Electricity: करीब 200 करोड़ में यह कार्य किया जाएगा और लगभग 1000 टन कचरे से हर दिन 10 से 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा…..

ग्वालियरOct 01, 2024 / 05:01 pm

Astha Awasthi

10 megawatt electricity

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Electricity: जिले में लगातार कचरे के ढेर बढ़ने से शासन व प्रशासन के साथ ही शहरवासी भी चिंतित हैं। ऐसे में अब शहर के केदारपुर में बिजली उत्पादन करने वाले संयत्र लगाकर कचरे से बिजली बनाई जाएगी। इससे बनने वाली बिजली से शहरों को रोशन किया जाएगा। यह कार्य नगर निगम द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर किया जाएगा। इसके प्रोजेक्ट के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) पर नगर निगम ने कार्य शुरू कर दिया है।

10 से 12 मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन

एसबीएम(यू) 2.0 के अंतर्गत करीब 200 करोड़ में यह कार्य किया जाएगा और लगभग 1000 टन कचरे से हर दिन 10 से 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। यह बिजली संयंत्रों में 50 माइक्रोन या उससे कम की पॉलीथिन व सूखे कचरे से तैयार होगी। इसी बिजली से कचरा प्लांट का संचालन किया जाएगा और शेष बिजली को विद्युत कंपनी को बेचा जाएगा। इसके साथ ही ग्वालियर को भिण्ड, मुरैना व दतिया से भी कचरा लेने का अनुबंध किया जाएगा।
वर्तमान में हर दिन 500 से 600 टन कचरा लैंडफिल साइट पर पहुंच रहा है। बता दें कि नगर निगम ने पूर्व में इंट्रीग्रेटेड सोलेट वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट पर करीब 300 करोड़ में बिजली प्लांट लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन वह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
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इको ग्रीन कंपनी को दिया था ठेका

नगर निगम ने मई 2015 में ईको ग्रीन कंपनी को भी करीब 255 करोड़ में बिजली बनाने का ठेका दिया था। लेकिन ईको ग्रीन कंपनी सही ढंग से काम नहीं कर सकी और 2021 में वह काम बीच में ही छोडकऱ भाग गई। इसके बाद से ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

केंद्र व राज्य सरकार देगी आधा-आधा

निगम अफसरों ने बताया कि एसबीएम (यू) 2.0 के अंतर्गत 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्र सरकार व राज्य सरकार आधा-आधा देगी और लगभग 80 करोड़ रुपए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) देगी। वहीं कुल 200 करोड़ रुपए में प्लांट बनकर तैयार होगा।

शहरभर से होगा कचरे का कलेक्शन

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत काम करने वाली कंपनी शहर के 66 वार्डों से कचरे कलेक्शन के साथ ही मुरैना, भिण्ड व दतिया से भी डोर टू डोर कचरा का कलेक्शन घरों से कर सकेगी। इसके लिए कंपनी अपने वाहनों का ही उपयोग करेगी और उसे अपना ही स्टाफ रखना होगा।

जबलपुर और रीवा में बना है बिजली का प्लांट

प्रदेश के जबलपुर और रीवा शहर में वर्तमान में कचरे से बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। शासन ने इनकी सफलता को देखते हुए ग्वालियर सहित भोपाल, रतलाम, इंदौर, उज्जैन व सागर नगर निगम भी पावर संयंत्र लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।

ऐसे बनाई जाती है

-पहली प्रक्रिया में अपशिष्ट को जलाया जाता है, जिससे गर्मी निकलती है। यह गर्मी बायलर में पानी को भाप में बदल देती है। उच्च दबाव वाली भाप टर्बाइन जनरेटर के ब्लेड को घुमाकर बिजली पैदा करती है।
-दूसरी प्रक्रिया में ज्वलनशील कचरे को प्रोजेक्ट में लगे भट्टे में जलने के लिए डाला जाता है, जहां कचरे के जलने से उत्पन्न ऊष्मा से उस भट्टे से जुड़ी सोलर प्लेट गर्म होती है और बिजली आपूर्ति शुरू हो जाती है।
कचरे के बिजली बनाने के लिए पूर्व में एक पत्र आया था। इसको लेकर डीपीआर भी बनाई जा रही है और केदारपुर के पास गांव में जमीन भी चिह्नित की गई है। कचरे से हर दिन लगभग 10 से 12 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी।- अमन वैष्णव, आयुक्त नगर निगम

केदारपुर के पास चिह्नित की है जमीन

बिजली प्लांट के लिए 5 से 7 एकड़ जमीन की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा केदारपुर के पास चंदरौआ गांव में करीब सात एकड़ से अधिक जमीन को चिह्नित किया गया है। नगर निगम की प्लानिंग है कि यहां पर बिजली प्लांट आसनी से लगाया जा सकेगा।

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