असम और त्रिपुरा में सीएबी का विरोध काफी उग्र हो गया हैं। इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं अगले 24 घंटों के लिए बंद कर दी गई हैं। गुवाहाटी में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाने के साथ ही असम से जाने और आने वाली सभी ट्रेने रद्द कर दी गई है। असम और त्रिपुरा के उग्र विरोध से प्रभावित जिलों में अर्ध सैनिक बलों की 2-2टुकड़ियां तैनात कर दी गई। असम के लिए एक और अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ी को तैनाती के लिए शिलांग से भेजी गई है। असम के बोंगाईगांव और डिब्रूगढ़ जिलों में अर्धसैनिक बल की एक-एक टुकड़ी तैनात कर दी गई है। त्रिपुरा के उत्तर- पूर्वी जिलों-धालाई और कंचनपुर जो ट्राईबल प्रभावी है में भी अर्धसैनिक बल की एक -एक टुकड़ी तैनात कर दी गई है।
त्रिपुरा का दो- तिहाई भौगोलिक क्षेत्र संविधान की 6 वीं अनुसूची के अतंर्गत स्वायत्त जिला परिषद में आता है जिसमें राज्य की 30 फीसदी जनसंख्या रहती हैं यहां कैब का विरोध सबसे ज्यादा हैं। राज्य के बाकी 8 जिलों में कैब का विरोध को खास नहीं रहा क्योंकि ये जिले गैर- आदिवासी मुख्यतर बंगाली भाषी समुदाय बहुल हैं।
असम के 34 जिलों में से केवल 7 जिले ही कैब के दायरे से बाहर हैं जो तीन एडीसी के अन्तर्गत प्रशासित होते हैं। विरोध बाकी 27 जिलों में हैं जिनमें मुस्लिमों से ज्यादा हिन्दू, बोधिस्ट समुदाय के लोग गैर- स्थानीय हैं जिनमें अधिकतर लोग बंगाली बोलते है। इसलिए असम के स्थानीय असमी भाषी लोग प्रभावित हो रहे हैं, कैब के लागू होने से इनको नागरिकता मिल जायेगी, इसलिए उग्र विरोध का मुख्य कारण हैं। असम के स्थानीय लोग कैब के जगह एनआरसी और असम सहमति समझौता 1985 को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
ट्रेनें रोकी गई…
इधर असम में लोगों की भीड़ जुटने से रोकने के लिए ट्रेन सेवा पर भी लगाम लगाई गई है। असम से बाहर जाने और अंदर आने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है। असम के लिए जम्मू से सीआरपीएफ की कई टुकड़ियों को बुलाया गया है।
भयंकर प्रदर्शन ने बदली शहर की सूरत
बता दें कि गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर यातायात रोका और बाजार बंद करा दिए। कई जगह युद्ध से हालात हो गए। पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प भी हुई। हालात काबू करने के लिए लाठीचार्ज और हवाई फायर भी किए गए। खुद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को एयरपोर्ट पर रुकना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 15 दिसंबर को गुवाहाटी आने वाले हैं। इसके लिए गुवाहाटी में विशेष तैयारियां की गई थी। लेकिन आंदोलनकारियों ने पूरी गुवाहाटी को तहस-नहस कर उसकी तस्वीर बदल दी।