गुवाहाटी

मिज़ोरम में हर्षोल्लास से मनाया गया सांस्कृतिक पर्व चापचार कुट, जानिए क्या है पर्व को मनाने के पीछे का कारण

राज्य के कला और संस्कृति मंत्री आर ललजीरलिआना ने समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस बार पर्व को राज्य से बाहर और विदेश में रह रहे ‘मिज़ो लोगों की एकता’ के महत्व के लिए मनाया जा रहे हैं…

गुवाहाटीMar 02, 2019 / 02:55 pm

Prateek

festivale

(आइज़ोल,सुवाला जांगू): प्रदेशभर में शुक्रवार को सबसे बड़ा सांस्कृतिक पर्व ‘चापचार कुट’ हर्षोल्लास से मनाया गया है। दो-दिवसीय चापचार कुट पर्व के मद्येनजर 28 फ़रवरी से 01 मार्च को राज्य में हर जगह विशेष आयोजन किए गए। मुख्य समारोह का आयोजन राजधानी आइज़ोल में असम राइफल के लाममुआल मैदान में हुआ। इस बार चापचार कुट को ‘मिज़ो लोगों की एकता’ के विषय के तौर पर राज्यभर में मनाया गया।

 

आइज़ोल में आयोजित समारोह की बात करे तो सुबह से ही हजारों लोग परंपरागत और सजावटी परिधानों में असम राइफल के मैदान में एकत्रित होने लग गए थे और राज्यभर से बड़ी संख्या में आए कलाकारों ने परंपरागत नृत्य, संगीत,गानों, खेलकुद जैसी विभिन्न गतिविधियां प्रस्तुत की। समारोह के दौरान कई सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और इसके समापन के समय प्रतियोगियों को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं।

 

चापचार कुट पर्व का महत्व

राज्य के कला और संस्कृति मंत्री आर ललजीरलिआना ने समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस बार पर्व को राज्य से बाहर और विदेश में रह रहे ‘मिज़ो लोगों की एकता’ के महत्व के लिए मनाया जा रहे हैं। हालांकि भौगोलिक सीमाओं की वजह से हमारे बीच भाषा और व्यवहार में अंतर लाया हैं लेकिन ये मिज़ो लोगों की संस्कृति को और समर्द्ध बनाती हैं।’ आर ललजीरलिआना ने सलाह देते हुए कहा कि पर्व को भाईचारे और एकता के तौर पर मनाया जाना चाहिए हैं। यह एकता मिज़ो लोगों के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। हर महान देश उन लोगों से बनता हैं जो अपनी संस्कृति को उन्न्त करते हैं। हमे विनम्रता की मिज़ो भावना को और मजबूत करना चाहिए। आइज़ोल में चापचार कुट पर्व के समारोह में म्यांमार के सीमावर्ती कस्बों फलम, तहन और तेदिम, आसाम, मेघालय, मणिपुर और बांग्लादेश से आए कई प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

 

चापचार कुट पर्व और इसका इतिहास

चापचार कुट का साहित्यक अर्थ, ‘सर्दियों के बाद पहाड़ियों में जंगल को जला कर झुमिंग खेती के लिए तैयार करने के बाद मॉनसून के आने के इंतजार में यह पर्व मनाया जाता हैं। चापचार का मतलब झुमिंग खेती के लिए जंगल को जला कर साफ करने का कार्य और कुट का मतलब पर्व या समारोह। ऐसा माना जाता है कि चापचार कुट को मनाने की शुरुआत 1450 और 1600 वीं शताब्दी के बीच हुई थी। पुराने दिनों में यह पर्व तीन दिनों से अधिक अवधि के लिए मनाया जाता था। इस पर्व में संस्कृति का प्रदर्शन जैसे संगीत, नृत्य, गान और खेलकुद जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है।

Hindi News / Guwahati / मिज़ोरम में हर्षोल्लास से मनाया गया सांस्कृतिक पर्व चापचार कुट, जानिए क्या है पर्व को मनाने के पीछे का कारण

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.