22 अप्रैल 2018 को चुनाव हुए थे, 24 अप्रैल को चुनाव परिणाम आए थे। किसी पार्टी को निर्णायक सीट नहीं मिली थी। कुछ दिन बाद कांग्रेस व भाजपा के सदस्यों ने परिषद की सरकार का गठन करने के लिए चुनाव बाद गठबंधन का समझौता किया। 6 सदस्यों के साथ कांग्रेस ने भाजपा के 5 सदस्यों के समर्थन से संयुक्त कार्यकारिणी का गठन किया। मिजो नेशनल फ्रंट को 8 सीट मिली थी। एक सीट का चुनाव परिणाम गुवाहटी न्यायालय में जाने से रोक दिया गया था, जो बाद में कांग्रेस के खाते में चली गई। पिछले कई महीनों से परिषद् में दो गुटों के बीच बहुमत होने का खेल चल रहा था।
विधानसभा चुनाव से हुआ सत्ता परिवर्तन
उसके बाद राज्य में नए राज्यपाल की नियुक्ति होने से सीएडीसी की कार्यकारिणी को स्थगित कर दिया गया। नए राज्यपाल ने इस परिषद के राजनीतिक गतिरोध में हस्तक्षेप करने से बचते रहे। बाद में कांग्रेस–भाजपा का गठबंधन टूट गया। अक्टूबर में राज्य विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से परिषद की कार्यकारिणी का राजनीतिक भविष्य अनिश्चितता में चला गया। इसी बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली। कांग्रेस की इस हार में चकमा परिषद में भाजपा के साथ सरकार बनाने की राजनीतिक गलती भी कारण रहा है। मिजो नेशनल फ्रंट ने दस साल बाद फिर से सत्ता में वापसी की। नई सरकार के गठन के एक महीने बाद राज्यपाल ने चकमा स्वायत्त परिषद की कार्यकारिणी को पुनप्रस्थापित के लिए परिषद का दो दिन का विशेष अधिवेशन बुलाने की अधिसूचना जारी की। चकमा जिला स्वायत्त परिषद की स्थापना 29 अप्रैल 1972 में संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत किया गया। सीएडीसी को संविधान के अंतर्गत विद्यायी,कार्यपालिका व न्यायिक शक्तियां मिली हुई है।