भूकंप में बचाता है लोगों की जिंदगियां
पूर्वोत्तर भूकंप, बाड और भूस्कलन की दृष्टि से बहुत संवेदनशील क्षेत्र हैं. ऐसे में केन और बांस से बने घर और कार्यालय इन समस्यों का आसान, सस्ता और संतुलित समाधान हो सकते हैं। अभी हाल में त्रिपुरा और मिज़ोरम के मुख्यमंत्रियों ने भी अपने-अपने राज्यों की अर्थव्यवस्था को केन और बांस आधारित करने के लिए प्रयास करने पर ज़ोर दिया हैं। पूर्वोत्तर विकास परिषद (एनईसी) और डोनेर मंत्रालय के अधीन काम करने वाले विभिन्न सरकारी संगठन पूर्वोत्तर क्षेत्र में और बाहर भी केन और बांस के बाजार के लिए हमेशा सहायता और सुविधायें उपलब्ध कराते हैं। बांस से बने कई संरचनायें पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिल जाएगी। बांस से बने घर, दुकान, रेस्टोरेन्ट तो आम बात हैं लेकिन पोस्ट ऑफिस, आईआईटी-गुवाहाटी का ऑडिटोरियम, लॉज, पर्यटकों के लिए हट, आर्ट ऑफ लिविंग कुटीर, कॉन्फ्रेंस हॉल, पार्किंग स्टैंड भी बहुतायत में मिल जाएंगे। पूर्वोत्तर में अगरबत्ती उद्योग भी बांस आधारित हैं। बांस और केन को पूर्वोत्तर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता हैं। पर्यावरण, रोजगार, और अर्थव्यवस्था को संतुलित करने में बांस और केन की खेती महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती हैं।
एनईसी की मुख्य प्राथमिकताओं में बांस
बांस के विकास और बाजार को वर्ष 2018 में एनईसी की मुख्य प्राथमिकताओं में रखा गया था। अब तक सीबीटीसी ने पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देशों के कुल 5400 कारीगरों, विद्यार्थियों, किसानों, और उद्यमियों को केन और बांस तकनीक के बारे में प्रशिक्षण दिया हैं। मिज़ोरम विश्वविद्यालय में प्लानिंग और आर्किटैक्चर विभाग ने बांस हाउसिंग और निर्माण विषय पर 3 अक्तूबर को सीबीटीसी द्वारा प्रायोजित सेमिनार में बोलते हुये आर्किटेक्ट नकुल नन्दा मलसोम ने कहा कि पूर्वोत्तर में स्वदेशी बांस के उत्पादों के उत्पादन, उपयोग और तकनीकी विकास की बहुत सारी संभावनाएं है। रुद्राक्ष देव के नेतृत्व में प्लानिंग और आर्किटैक्चर विभाग के बी. आर्क. छात्रों ने सेमिनार के दौरान बांस से बनी हाउसिंग सरंचनाओं के कई नमूनों का प्रदर्शन किया। उपस्थित लोगों ने बांस से बनी इन हाउसिंग सरंचनाओं के नमूनों के प्रदर्शन की काफी प्रशंसा की।