घुसपैठियों को लेकर अमित शाह ने दिया बड़ा बयान, बोले-2024 में वोट मांगने से पहले…
आइजक मणिपुर के चुड़ाचांदपुर जिले के कंगवाई गांव का रहने वाला है। बोर्ड के नियमानुसार 15 साल की उम्र पूरी करने के बाद ही छात्र मार्च या अप्रैल में आयोजित होने वाली मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा दे सकता है। बोर्ड ने इसे एक विशेष मामला बताया है।
आइजक के पिता ने पिछले साल बोर्ड को एक आवेदन देते हुए नियम से कम उम्र में परीक्षा देने की अनुमति अपने बेटे के लिए मांगी थी। इसके बाद इंफाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मनोवैज्ञानिक विभाग में आइजक का टेस्ट करवाया गया। आइजक के लिए मशहूक वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन आर्दश हैं। आइजक अब बेहद खुश है कि उसे कम उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा देने का मौका मिला है।
12 साल का बच्चा बना साइंटिस्ट…
भारतीय बच्चों की प्रतिभा को दर्शाने वाला ऐसा ही एक मामला बीते दिनों हैदराबाद से सामने आया था। हैदराबाद के रहने वाले 12 वर्षीय सिद्धार्थ श्रीवास्तव पिल्लै ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी ने बतौर डेटा साइंटिस्ट नियुक्ति दी है। सिद्धार्थ 7वीं कक्षा के छ़ात्र है। डेटा साइंटिस्ट बनने के लिए मैथ्स, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करनी होती है। वहीं पायथन, जावा, सैस जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का ज्ञान भी जरूरी होता है। सिद्धार्थ ने अपने पिता से कोडिंग सिखकने के बाद अपनी काबिलियत सिद्ध करते हुए यह मुकाम हासिल किया।