गुवाहाटी

ड्रोन से मिला खूंखार लादेन का ठिकाना, इस वजह से ले रहा है लोगों की जान

लादेन को नियंत्रण में करने के लिए वन अधिकारियों ने मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो कुनकी (प्रशिक्षित हाथी) मंगाए हैं…

गुवाहाटीNov 02, 2019 / 02:59 pm

Prateek

ड्रोन से मिला खूंखार लादेन का ठिकाना, इस वजह से ले रहा है लोगों की जान

(गुवाहाटी,राजीव कुमार): ड्रोन के जरिए अब खूंखार जंगली हाथी लादेन का पता चला है। पांच लोगों की हत्या के बाद वह वापस जंगल में छिप गया था। असम के वन अधिकारियों ने उसका पता लगाने के लिए आखिरकार ड्रोन का इस्तेमाल किया तो उन्हें शुक्रवार को सफलता हाथ लगी। तीन बार के प्रयास के बाद ड्रोन से लादेन की जो तस्वीर मिली वह विभाग के लिए उत्साहजनक थी।

 

इस वजह से आतंक मचा रही ‘लादेन’

अपराह्न 4 बजे पश्चिम असम के ग्वालपाड़ा जिले के छताबाड़ी रिजर्व फारेस्ट में लादेन को खोज निकाला गया। ग्वालपाड़ा से 400 किमी दूर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से इस ड्रोन को लाया गया था। वन अधिकारियों का कहना है कि मादा हाथी लादेन सालाना सेक्स उत्तेजना के दौर में है। प्रजनक हारमोनो के बढ़ने से सेक्स उत्तेजना बढ़ती है और तब मादा हाथी बहुत उत्तेजक हो जाता है। इस दौरान वह वन को ध्वंस करने के साथ किसानों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही जनबहुल इलाकों में प्रवेश कर जाता है।


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असम के ग्वालपाड़ा जिले की सीमा मेघालय के गारो हिल्स से लगती है। गारो हिल्स में घना जंगला है। इसलिए इस इलाके में हाथियों का आना-जाना लगा रहता है। लादेन को नियंत्रण में करने के लिए वन अधिकारियों ने मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो कुनकी (प्रशिक्षित हाथी) मंगाए हैं। इनके जरिए पगलाए लादेन को नियंत्रित करने की कोशिश होगी। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने तुरंत इस हाथी को ट्रेंकुलाइज करने को कहा है। राज्य के वन विभाग का कहना है कि एक जंगली हाथी को खोज निकालने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। इससे खतरनाक जंगली जानवर को बिना किसी रिस्क के खोज निकालने में मदद मिली है।


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टकराव पहुंचा चरम पर…

पिछले कुछ सालों में राज्य में हाथी-मनुष्य का टकराव चरम पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2010 से दिसंबर 2018 तक राज्य में हाथियों के हमले में 761 लोग मारे गए हैं जबकि हाथी 249 मारे गए हैं। वर्ष 2,017 की हाथी जनगणना के अनुसार असम में हाथियों की संख्या 5,719 है जबकि मेघालय में 1,754 और अरुणाचल प्रदेश में 1,614 है।

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