मानवधिकार कर्मी हर्ष मंदर ने डिटेंशन कैंपों में रह रहे लोगों की दुख-दुर्दशा देखकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसी पर राज्य सरकार ने विदेशियों को सशर्त छोड़े जाने का प्रस्ताव दिया था। डिटेंशन कैंप में रह रहे 335 विदेशी घोषित लोग जिन्होंने तीन साल से अधिक अवधि पूरी की है उनमें से 120 ने ही सशर्त रिहाई के लिए आवेदन किया हैं। बाकी के आवेदनकर्ताओं के आवेदन की जांच की जा रही है।
राज्य के छह डिटेंशन कैंपों में फिलहाल 1,145 विदेशी घोषित व्यक्ति रह रहे हैं। कराझाड़ कैंप में 177, ग्वालपाड़ा में 273, डिब्रुगढ़ में 46, तेजपुर में 357, जोरहाट में 220 और सिलचर में 72 विदेशी घोषित व्यक्ति रह रहे हैं। छब्बीस से ज्यादा विदेशी घोषित व्यक्तियों की डिटेंशन कैंपों में मौत हो चुकी हैं।
यह हैं रिहाई के लिए शर्तें
सशर्त रिहाई में एक शर्त यह है कि दो भारतीय जमानतदारों को एक-एक लाख के बांड जमा कराना है। रिहाई के पहले रहने वाले पते की पुष्टि करानी होगी। रिहा होने वाले व्यक्ति की बायोमैट्रिक जानकारी संग्रह की जाएगी। हर हफ्ते रिहा होने वाले व्यक्ति को आकर थाने में हाजिरी देनी पड़ेगी। जैसे ही वह अपना पता बदलेगा उसे इसे थाने में इसकी सूचना देनी पड़ेगी। यदि रिहा होने वाला व्यक्ति नियमों को तोड़ता है उसे तुरंत फिर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा।