Read this also: किसान रैली में भाषण देकर सुर्खियों में आर्इ थी यह लड़की, अब विद्या बालन के साथ कर रही फिल्म लाॅकडाउन को सत्तर दिन हो चुके हैं। मजदूरों का हाल इस लाॅकडाउन में सबसे खराब है। मध्यमवर्ग की भी हालत मजदूरों से कुछ कम नहीं। हालांकि, मदद किसी को नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों का रोजगार छीनने के बाद भूखमरी के कगार पर पहुंचे मजदूरों के लिए सरकार ने तीन महीना तक एक-एक हजार रुपये उनके खाते में भेजने का ऐलान किया था लेकिन हकीकत उससे अलग है।
विजयपुर में भवन निर्माण कर्मकार हितग्राही हैं। उनके खाते में भी एक हजार रुपये जाने थे। इन मजदूरों के मोबाइल पर एक हजार रुपये आने का एसएमएस आ गया है लेकिन 60 प्रतिशत मजूदरों का कहना है कि एसएमएस तो आ गया लेकिन रुपये नहीं आए। ये मजदूर मोबाइल पर आए मैसेज को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के पास दौड़ लगा रहे लेकिन किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। दौड़ते-दौड़ते इन मजदूरों में अब निराशा होने लगी है। सुशील चंदेल बताते हैं कि अधिकतर मजदूरों को दो जून की रोटी का इंतजाम नहीं है, ऐसे में यह मजाक बेहद क्रूर लग रहा।
विजयपुर में भवन निर्माण कर्मकार हितग्राही हैं। उनके खाते में भी एक हजार रुपये जाने थे। इन मजदूरों के मोबाइल पर एक हजार रुपये आने का एसएमएस आ गया है लेकिन 60 प्रतिशत मजूदरों का कहना है कि एसएमएस तो आ गया लेकिन रुपये नहीं आए। ये मजदूर मोबाइल पर आए मैसेज को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के पास दौड़ लगा रहे लेकिन किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। दौड़ते-दौड़ते इन मजदूरों में अब निराशा होने लगी है। सुशील चंदेल बताते हैं कि अधिकतर मजदूरों को दो जून की रोटी का इंतजाम नहीं है, ऐसे में यह मजाक बेहद क्रूर लग रहा।