– ट्रस्ट और प्रशासन ने क्या दिए तर्क जानकारी के अनुसार पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने शुक्रवार को सर्किट हाउस में एक बैठक आयोजित की। जिसमें ट्रस्ट के पदाधिकारी, कलेक्टर और एडीशनल एसपी मौजूद रहे। ट्रस्ट के सदस्यों ने तर्क दिए कि यदि ट्रस्ट सरकारी हो जाता है तो मंदिर की व्यवस्थाएं ठीक से नहीं चल पाएंगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिले के निहाल देवी मंदिर, बीसभुजा देवी मंदिर सरकारी ट्रस्ट से ही चलते हैं। जिसके बाद स्थिति यह है कि वहां पर ठीक से पुताई तक नहीं हो पाती है। इसलिए हनुमान टेकरी मंदिर प्राइवेट ट्रस्ट के हाथों में ही रहना चाहिए।
इधर प्रशासन ने ट्रस्ट पदाधिकारियों द्वारा दिए गए तर्कों को यह कहते हुए खारिज किया कि आप उज्जैन के महाकाल मंदिर सहित कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों का उदाहरण देख लीजिए, उनका भी संचालन सरकारी ट्रस्ट ही करता है। इनकी व्यवस्थाएं बहुत बेहतर हैं और सुचारू रूप से मंदिर की व्यवस्थाएं चलती हैं। इसलिए यह कहना गलत है कि सरकारी ट्रस्ट मंदिर का संचालन ठीक से नहीं कर पाएगा। वहीं ट्रस्ट के पदाधिकारी इसे प्राइवेट ही बने रहने पर अड़े रहे। सूत्रों का कहना है कि पंचायत मंत्री ने भी ट्रस्ट को प्राइवेट बने रहने देने की वकालत नहीं की। कुल मिलाकर इस मामले में फिलहाल कोई सहमति नहीं बन पाई है।
— क्यों खास है हनुमान टेकरी सरकार मंदिर बता दें कि हनुमान टेकरी मंदिर शहर से करीब 5 किमी दूर है। जहां दर्शन करने के लिए गुना जिले के अलावा प्रदेश भर से नागरिक पहुंचते हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर पर सबसे जयादा श्रद्धालु मंगलवार के अलावा शनिवार को बालाजी सरकार के दर्शन करने आते हैं। मुख्य मंदिर सरकारी जमीन पर बना हुआ है। यह जमीन मंदिर माफी की है। इसके अलावा नीचे की तरफ ट्रस्ट ने कुछ जमीनें दान में लीं और कुछ खरीदकर मंदिर परिसर का विस्तार किया है। यहां हनुमान जयंती के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दौरान हजारों लोग मंदिर पर दर्शन करने आते हैं।
– यह है विवाद की जड़ जानकारी के मुताबिक वर्तमान में मंदिर का संचालन एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है। जिसके अध्यक्ष नारायण प्रसाद अग्रवाल हैं। वर्ष 2019 में तत्कालीन कलेक्टर ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। जिसमें बनी सहमति के बाद ट्रस्ट में एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति का आदेश जारी किया गया था। लेकिन ट्रस्ट के पदाधिकारियों की सहमति के बाद हुए आदेश की खिलाफत करते हुए एक सदस्य ने कोर्ट में आवेदन देकर कलेक्टर के आदेश पर स्टे ले लिया था। वहीं कमिश्नर कोर्ट में भी कलेक्टर के आदेश के खिलाफ अपील कर दी थी, जो अभी लंबित है।