गुना

एमपी की अजब-गजब होली : यहां 30 फीट उंचाई पर लटककर मन्नत के फेरे लगाते हैं लोग, देखें Video

Tribals Unique Holi : यहां 30 फीट की उंचाई पर हवा में लटककर मन्नत मांगने हैं लोग। जान जोखिम में डालकर सालों से परंपरा निभाते आ रहे यहां के आदिवासी।

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Mar 15, 2025

Tribals Unique Holi : आदिवासी बाहुल होने के चलते मध्य प्रदेश में अनोखे रीति रिवाज और परंपराएं देखने को मिलती हैं। प्रदेश में मनाए जाने वाले हर त्योहार को कहीं न कहीं अनोखे ढंग से मनाया जाता है। फिलहाल, देशभर में होली की धूम है। होली के इस पर्व पर भी मध्य प्रदेश के गुना में अनोखा नजारा देखने को मिला। यहां आदिवासी समाज के लोग होली पर अनूठी परंपरा का निर्वहन करते हैं। परंपरा के तहत साल भर में मांगी गई मन्नते के पूरा होने पर श्रद्धालुओं को लकड़ी पर बंधी रस्सी के सहारे झूलना होता है। ये परंपरा दिखने में तो बेहद रिस्की है, लेकिन आदिवासी समुदाय को लोग इसे भक्तिभाव से निभाते हैं।

दरअसल, यहां होली के बाद पटेलिया समाज के लोग अपने कुल देवता (लक्कड़ देवता) की विशेष पूजा करते हैं। इस पूजा में समाज के लोग सामूहिक रूप से इकट्ठे होकर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। समाज के बुजुर्गों का कहना है कि ये परंपरा कितनी पुरानी है, ये तो वो नहीं जानते। लेकिन, यहां के लोग इसे इस परंपरा को पूरी आस्था के साथ निभाते हैं। आयोजन की सबसे अनोखी और रोमांचक रस्म तब होती है, जब मन्नत पूरी होने पर समाज के लोग मन्नत मांगने वाले शख्स को रस्सी से बंधकर 30 फीट ऊंचाई पर हवा में गोल-गोल घुमाते हैं।

इस तरह इष्ट देवता का आभार व्यक्त करते हैं लोग

बता दें कि, परंपरा के तहत तीन, पांच, सात या उससे भी अधिक बार हवा में घूमाकर मन्नत मांगने वाले शख्स की आस्था व्यक्त की जाती है। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे अपने इष्ट देवता का आभार व्यक्त करता है। पटेलिया समाज के लोग इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं। समाज के वरिष्ठों की मानें तो ये न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि इससे समाज की एकजुटता भी बनी रहती है। इस मौके पर गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं और पूरे उत्साह के साथ इस रस्म को पूरा करवाते हैं।

दूर-दूर से आते हैं लोग

बता दें कि इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं और पूरे श्रद्धा भाव से इस आयोजन में भाग लेते हैं। समाज के अनुसार, जब तक उनकी आस्था बनी रहेगी, यह परंपरा भी जारी रहेगी।

Published on:
15 Mar 2025 12:03 pm
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