मामले की जानकारी लगते ही नितिन के पिता भी मौके पर आ गए। उन्हें देखते ही एसडीओपी तिवारी उनसे भी अभद्रता करने लगे। उनसे कहा कि, तुम्हारा बच्चा लड़कियां छेड़ता है। दोनों को उठाकर थाने में बंद कर देंगे। उसके पिता ने कहा कि, बच्चा बहुत छोटा है, वो ऐसा नहीं करता। इसपर तिवारी भड़क गए और जमकर गालियां देने लगे। घटना के अगले दिन अशोक अपने बेटे के साथ कैंट थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज करने के लिए कहा, लेकिन तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी आशीष सप्रे ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इधर, अस्पताल में बच्चे का इलाज कराया गया। जांच कराने पर रिपोर्ट में सामने आया कि, बच्चे की सुनने की क्षमता कम हो गई है।
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एसपी से लेकर आईजी तक नहीं हुई सुनवाई
खास बात यह है कि, एक पिता ने अपने बच्चे को इंसाफ दिलाने एसपी से लेकर आईजी तक गुहार लगाई, लेकिन फिर भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बावजूद अशोक ने हार नहीं मानी और उन्होंने न्यायालय की शरण ली। यहां प्राइवेट इस्तगासा लगाकर कार्रवाई की मांग की। सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दोनों पुलिसकर्मियों पर मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई जेएमएफसी भूपेंद्र सिंह कुशवाह ने की।
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