Read this also: जिला अस्पताल से 11 संदिग्ध लापता, कोरोना जांच के लिए सैंपल भी नहीं दिया दरअसल, कोरोना काल (Corona period) ने हमारे जीवन में तमाम बदलाव लाए हैं। सुविधाभोगियों के लिए यह बदलाव तो आसान है लेकिन तमाम बदलाव आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए थोड़ी दुश्वारियों वाली भी है। शिक्षा के क्षेत्र में ही पारंपरिक क्लासेस बंद (regular classes closed) होने के बाद आॅनलाइन क्लासेस (online classes) बदलाव का वाहक बन रहे लेकिन इस शैक्षणिक यात्रा में डेटा की कमी आड़े आने लगी है। तमाम बच्चों के पास पर्सनल एंड्रायड फोन ही नहीं है। ऐसे में इस नई पद्धति से दी जा रही शिक्षा का प्रसार कैसे होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है।
जानकार बताते हैं कि कोरोना काल में आॅनलाइन शिक्षा का जिस तरह चलन बढ़ा है उसके लिए पर्याप्त मात्रा में डेटा की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराना होगा(extra data issue)। यही नहीं हर एक के पास अपना एंड्रायड फोन या टैब या कंप्यूटर भी इस नई पद्धति के लिए महत्वपूर्ण व अनिवार्य है।
विशेषज्ञों की मानें तो एक आम व्यक्ति/छात्र/शिक्षक औसत एक से डेढ़ जीबी डेटा का प्लान लेता है। इसमें करीब पच्चीस प्रतिशत उसका अपडेट में ही कहीं न कहीं खर्च हो जाता है। दूसरा यह कि किसी भी विषय की आॅनलाइन क्लास कम से कम आधा घंटा की होगी। अगर इस तरह की पांच छह क्लासेस कोई छात्र एटेंड करे या मिले असाइनमेंट को डाउनलोड करे तो उसे डेढ़ जीबी डेटा से अधिक की आवश्यकता पड़ेगी। दूसरी यह कि नेटवर्क की वजह से तमाम बार स्पीड भी परेशानी का सबब न जाती है।
शिक्षकों का मानना है कि उन पर व छात्रों पर भी एक अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ता है। तमाम छात्र इस स्थिति में नहीं होते कि वह एक बेहतर एंड्रायड खरीद सके या अतिरिक्त डेटा खर्च वहन कर सके। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र का यह बदलाव तमाम तक पहुंच तक नहीं पा रहा।
जानकार बताते हैं कि कोरोना काल में आॅनलाइन शिक्षा का जिस तरह चलन बढ़ा है उसके लिए पर्याप्त मात्रा में डेटा की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराना होगा(extra data issue)। यही नहीं हर एक के पास अपना एंड्रायड फोन या टैब या कंप्यूटर भी इस नई पद्धति के लिए महत्वपूर्ण व अनिवार्य है।
विशेषज्ञों की मानें तो एक आम व्यक्ति/छात्र/शिक्षक औसत एक से डेढ़ जीबी डेटा का प्लान लेता है। इसमें करीब पच्चीस प्रतिशत उसका अपडेट में ही कहीं न कहीं खर्च हो जाता है। दूसरा यह कि किसी भी विषय की आॅनलाइन क्लास कम से कम आधा घंटा की होगी। अगर इस तरह की पांच छह क्लासेस कोई छात्र एटेंड करे या मिले असाइनमेंट को डाउनलोड करे तो उसे डेढ़ जीबी डेटा से अधिक की आवश्यकता पड़ेगी। दूसरी यह कि नेटवर्क की वजह से तमाम बार स्पीड भी परेशानी का सबब न जाती है।
शिक्षकों का मानना है कि उन पर व छात्रों पर भी एक अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ता है। तमाम छात्र इस स्थिति में नहीं होते कि वह एक बेहतर एंड्रायड खरीद सके या अतिरिक्त डेटा खर्च वहन कर सके। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र का यह बदलाव तमाम तक पहुंच तक नहीं पा रहा।