गुना

महावीर जयंती पर विशेष : कुंडलपुर की तर्ज पर गुना में भी तैयार हो रहा है जैन मंदिर

देश में अलग और एकमात्र मंदिर होगा बजरंगगढ़ का जैन मंदिर
बिना सरिए के कराया जा रहा है जीर्णोद्वार, अगले वर्ष होगा पंचकल्याणक
भगवान महावीर का जन्मोत्सव 14 अप्रैल को
धूमधाम से मनाए जाने की गुना जिले में तैयारियां शुरू
जन्मोत्सव को मनाए जाने के लिए बजरंगगढ़ समेत अन्य जगह बने जैन मंदिरों को सजाया गया
सुबह सात बजे से कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।

गुनाApr 14, 2022 / 06:07 am

praveen mishra

महावीर जयंती पर विशेष : कुंडलपुर की तर्ज पर गुना में भी तैयार हो रहा है जैन मंदिर

गुना। अगले वर्ष आपको गुना जिले के बजरंगगढ़ में शांति नाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर सबसे अलग और एक मात्र देखने को मिलेगा। इस मंदिर की खासियत ये है कि इस मंदिर में लोहे का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जा रहा है, केवल ईंट, बजरी और सीमेन्ट से तैयार हो रहा है। इस मंदिर के जीर्णोद्वार कार्य में लगभग सात साल लग गए हैं, यह काम अगले वर्ष तक पूरा होगा। इसके साथ ही कैंट क्षेत्र में एक दूसरा दिगम्बर जैन मंदिर को नया स्वरूप अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के आर्किटेक्ट सौम्य पुरा दे रहे हैं। यह मंदिर राम मंदिर की तर्ज पर तैयार हो रहा है, यह भी जल्द पूरा होगा।

शांति नाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़
गुना नगर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर श्रेष्ठी श्री पाड़ा शाह द्वारा निर्मित 850 वर्ष प्राचीन मनोहारी अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़ में स्थित है। तीन पदवियों के धारी वर्तमान चौबीसी के तीर्थकर 108 श्री शांतिनाथ जी, 1008 श्री कुंथुनाथ जी, 1008 श्री अरहनाथ जी भगवान की गुफा में विराजित मनभावन प्रतिमाएं जीवन में आहलाद का संचरण करती हैं। सन् 1992 में पूज्य गुरुदेव 108 मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के सानिध्य में प्रतिमाओं के जीर्णोद्वार ने श्रावकों के नेत्रों को और अधिक आनंदित कर दिया।
अलग दिखेगा मंदिर
जैन समाज से जुड़े लोग बताते हैं कि बजरंगगढ़ में शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर 900 साल पुराना है। इस मंदिर का जीर्णोद्वार सन् 2014 में कराए जाने का मंदिर प्रबंधन समिति ने निर्णय लिया, उस निर्णय के आधार पर मंदिर का जीर्णोद्वार कार्य शुरू हुआ जो अभी चल रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर का इस बार निर्माण कार्य सुधा सागर जी की प्रेरणा से और वास्तु शास्त्र के अनुसार कराया जा रहा है। मंदिर के निर्माण में लोहे का बिल्कुल उपयोग नहीं हो रहा है।मंदिर में केवल ईंट, बजरी और सीमेन्ट का उपयोग हो रहा है। उनका दावा है कि यह मंदिर देश में पहला होगा जो ईंट, बजरी और सीमेन्ट से निर्मित होगा। मंदिर के निर्माण में अभी समय लगेगा। वे बताते हैं कि तीन करोड़ की लागत से इसका मूल ढांचा बनकर तैयार हो चुका है। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद ओर भी प्रतिमाएं विधि-विधान के साथ स्थापित होंगी।सपाट छतों से लेकर गोल गुंबद, तक सभी ईंट, बजरी और सीमेन्ट से बने हैं। इन ढांचों को अपनी जगह टिकाए रखने के लिए सदियों पुराने आर्च या मेहराब तकनीक से बने किसी भी ढांचे की उम्र 400 से पांच सौ तक रहती है। जबकि आरसीसी का ढांचा सौ साल से ज्यादा नहीं टिकता। फर्क यह है कि आरसीसी तकनीक े काम तेजी से होता है और इसमें डिजाइन की अनगिनत संभावनाएं रहती हैं। इस मंदिर के बनने के बाद गुना में बड़ा पंच कल्याणक कार्यक्रम कराए जाने की भी तैयारियां हैं। बजरंगगढ़ में एक पुराना दिगम्बर जैन मंदिर भी है जहां भी लोग एकत्रित होते हैं।

सर्वोदय तीर्थ : जिसे देखने लोग आते हैं
गुना से सात-आठ किलोमीटर दूर फतेहगढ़ चौराहे पर 16 बीघा जमीन में सर्वोदय तीर्थ बना हुआ है। यहां गौशाला भी बनाई गई है। यहां 31 फुट ऊंची बाहुबली भगवान की प्रतिमा है। यहां बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए स्कूल भी अगले शैक्षणिक सत्र से खोले जाने की योजना है।
ऋष वायतन जी
गुना में ऋष वायतन भी है। इसका भी निर्माण कार्य चल रहा है, जो सन् 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। यहां पंचकल्याणक महोत्सव कराए जाने की भी तैयारियां जल्द शुरू होंगी।
जानिए मंदिर के बारे में
– 28 हजार वर्ग फीट में बनाया गया है यह जैन मंदिर।
-80 फीट घेरे वाला गुंबद सिर्फ ईटों से बना हुआ है।
-12-18 फीट गहरी है बजरंगगढ़ मंदिर की नींव।
मंदिर की खासियत
पूरा ढांचा ईंट, बजरी व सीमेन्ट से बना। सरिया नहीं लगाया।
गुबंद- लगभग 80 फीट घेरे वाला पूरा गुंबंद सिर्फ ईंटों से बना है। कहीं से किसी पिलर या पत्थर से सहारा नहीं हैं। यानि ईंट, बजरी व सीमेंट के बल पर पूरा ढांचा टिका हुआ है।
हॉल की 34 फीट की छत-इसी तरह हॉल की 34 फीट चौड़ी छत भी बिना किसी सहारे के टिकी है। यह भी सिर्फ ईंट से बनी हुई है।
वर्तमान स्थिति- निर्माण समिति के पदाधिकारी प्रदीप जैन के अनुसार इसका निर्माण मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज की प्रेरणा से हो रहा है, उनकी आज्ञा के बाद प्रतिमाओं की स्थापना करेंगे।
कुंडलपुर की तर्ज पर बन रहा है मंदिर
गुना के कैंट क्षेत्र में दिगम्बर जैन मंदिर है, इस मंदिर को नया स्वरूप देने की तैयारी सन् 2016 में हुई थी, इस मंदिर को कुंडलपुर की तर्ज पर बनाए जाने की योजना बनी, इसको भव्य रूप देने की डिजाइन गुजरात के सौम्य पुरा ने दी। इस मंदिर की खासियत ये है कि मंदिर का निर्माण पत्थर से कराया जा रहा है। इसमें न तो ईंट, बजरी ओर सीमेन्ट का बिल्कुल उपयोग नहीं हो रहा है। इस मंदिर के निर्माण में लगे समाज के लोग बताते हैं कि इस मंदिर को नागरशैली का स्वरूप दिया जा रहा है। शास्त्रों में नागरशैली का वर्णय किया गया है। उसी के अनुसार संपूर्ण काम कराया जा रहा है। यहां तीन वेदियां बनाई जाएंगी जिसमें एक वेदी पर भगवान आदिनाथ जी की दूसरी वेदी पर भगवान पारसनाथ और तीसरी वेदी पर भगवान चन्द्रा प्रभु की प्रतिमा स्थापित होगी। इस मंदिर के निर्माण पर लगभग छह करोड़ रुपए खर्च होगा। इसका काम 75 फीसदी हो चुका है, जल्द ही मंदिर निर्माण पूरा हो जाएगा।
सर्वोदय तीथ:र् जिसे देखने लोग आते हैं
गुना से सात-आठ किलोमीटर दूर फतेहगढ़ चौराहे पर 16 बीघा जमीन में सर्वोदय तीर्थ बना हुआ है। यहां गौशाला भी बनाई गई है। यहां 31 फुट ऊंची बाहुबली भगवान की प्रतिमा है। यहां बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए स्कूल भी अगले शैक्षणिक सत्र से खोले जाने की योजना है।
ऋष वायतन जी
गुना में ऋष वायतन भी है। इसका भी निर्माण कार्य चल रहा है, जो सन् 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। यहां पंचकल्याणक महोत्सव कराए जाने की भी तैयारियां जल्द शुरू होंगी।
यहां भी चल रहा है निर्माण कार्य
राघौगढ़ में भी एक विशाल जैन मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है, वो भी जल्द बनकर तैयार हो जाएगा।
आज ये होंगे कार्यक्रम
– वर्धमान शासन नायक श्री महावीर भगवान के जन्मोत्सव श्री महावीर जयंती के शुभ अवसर पर पुण्योदय अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़ में सुबह साढ़े सात बजे पदयात्रा प्रभात फेरी निकलेगी जो वापस आकर शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पर आकर समाप्त होगी, यहां अभिषेक भी होगा।
-गुना शहर में चौधरी मोहल्ला स्थित पार्श्व नाथ दिगम्बर जैन मंदिर से एक प्रभात फेरी निकलेगी जो सदर बाजार होते हुए वापस इसी मंदिर पर आकर समाप्त होगी।दोनों जगह गरीबों को भोजन वितरण भी करेंगे।
ुगुना जिले में एक दर्जन से अधिक हैं जैन मंदिर
गुना जिले में देखा जाए तो बजरंगगढ़ के अलावा अंचल समेत शहर के अन्य स्थानों पर एक दर्जन से अधिक जैन मंदिर हैं।

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