नवरात्र के दौरान सुबह 6 बजे आरती में सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में मड़ी माता की प्रतिमा दिन में तीन बार रूप बदलती है। इसे देखने के लिए दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। जिले के म्याना कस्बे में नगर से 2 किलोमीटर दूर मड़ी माताजी का अति प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित है। यहां वैसे तो बारह माह भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि में भक्तों का तांता कुछ ज्यादा ही लगा रहता है।
मंदिर के पुजारी रवि शर्मा ने बताया कि पीढ़ियों से हमारा परिवार माताजी की पूजा करता आ रहा है। माताजी दिन में तीन रूप बदलती हैं, जो भक्त सच्चे मन माताजी से प्रार्थना करता है उसे माता के तीनों रूपों के दर्शन होते हैं।
श्री जगदंबिका सेवा एवं पर्यावरण समिति भी मंदिर के रखरखाव का विशेष ध्यान रखती है। जिसमें समस्त कस्बे वासियों का सहयोग रहता है। जिले की एकमात्र 51 फीट की शिखर इसी मंदिर पर बनी है, जो कि अपनी भव्यता को दर्शाती है। समिति अध्यक्ष विक्रम सिंह गुर्जर ने बताया कि म्याना का नाम माताजी के नाम पर पड़ा है और यहां गणगौर तीज के अगले दिन भव्य मेला भरता है।
कभी शेर आया करता था इसी बावड़ी में पानी पीने
एक प्राचीन बावड़ी भी बिल्कुल मंदिर से लगी हुई है। जिसमें एक समय शेर पानी पीने आया करते थे। इसके अलावा पास ही एक प्राचीन गुफा है। कहा जाता है भदौरा रियासत के राजा यहां मां की पूजा करने उसी गुफा से होकर आते थे।