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मौसम विभाग की चेतावनी-पाला पड़ सकता है, किसान फसल को बचाने यह करें उपाय

मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर-पूर्व से आने वाली बर्फीली हवाओं के असर से सर्दी बढ़ गई है। पहाड़ों पर बर्फबारी के कारण वहां से आने वाली हवाएं यहां पारे में गिरावट के साथ ठंड का असर बढ़ा रही हैं। एक-दो दिन में दिन के साथ रात के तापमान में तेजी से गिरावट आएगी।

गुनाDec 20, 2021 / 12:56 pm

Subodh Tripathi

मौसम विभाग की चेतावनी-पाला पड़ सकता है, किसान फसल को बचाने यह करें उपाय

मौसम विभाग की चेतावनी-पाला पड़ सकता है, किसान फसल को बचाने यह करें उपाय

गुना. सर्द हवाओं के आगे धूप की तेजी सर्दी का असर कम नहीं कर सकी। न्यूनतम तापमान में गिरावट आने का असर आम जनजीवन पर पडऩा शुरू हो गया है। रात में कोहरा छाना शुरू हो जाता है, जो अगले दिन सुबह तक बना रहता है। सर्दी और कोहरे के कारण लोगों की रात जल्दी और सुबह देर से शुरू होने लगी है। कोहरे के कारण हाइवे व रेल लाइन पर आवागमन भी प्रभावित होने लगा है। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर-पूर्व से आने वाली बर्फीली हवाओं के असर से सर्दी बढ़ गई है। पहाड़ों पर बर्फबारी के कारण वहां से आने वाली हवाएं यहां पारे में गिरावट के साथ ठंड का असर बढ़ा रही हैं। एक-दो दिन में दिन के साथ रात के तापमान में तेजी से गिरावट आएगी।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग की चेतावनी है कि ज्यादा ठंड में बच्चे और बुजुर्ग बाहर न जाएं। 17 दिसंबर को अधिकतम तापमान 20.2 डिग्री दर्ज किया गया था। पाला पडऩे से फसलों में 20 से 70 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट, शीतलहर से ऐसें बचें

बढ़ती सर्दी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जनहित में आमजन के बचाव के लिए जरूरी सुझाव दिए हैं। शीतलहर में दीर्घकालीन बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, बुजुर्ग जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक, 05 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
-पाले के प्रभाव से फल और फूल झडऩे लगते है प्रभावित फसल का हरा रंग समाप्त हो जाता है।
-पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखता है। ऐसे में पौधों के पत्ते सडऩे से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है।

– पत्ती, फूल एवं फल सूख जाते है। फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं और स्वाद भी खराब हो जाता है।
– पाले से फल और सब्जियों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। सब्जियों पर पाले का प्रभाव अधिक होता है। कभी-कभी शत प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है।

– शीत ऋतु वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक का तापमान सहने में सक्षम होते है। इससे कम तापमान होने पर पौधे की बाहर व अन्दर की कोशिकाओं में बर्फ जम जाती है।
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पाले से फसल को बचाने के उपाय
-जिस रात पाला पडऩे की संभावना हो, उस रात 12 से 2 बजे के आस-पास खेत को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए कूड़ा-कचरा, घास जलाकर धुआं करना चाहिए।
-खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है और भूमि का तापमान कम नहीं होता है 0.5 से 2.0 डिग्री तक तापमान बढ़ जाता है।
-पौधों को पुआल या पॉलीथीन शीट से ढंक दें ध्यान रहे पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे।
-पाला पडऩे की आशंका होने पर फसलों पर सल्फर डस्ट 8 से 10 किग्रा प्रति एकड़ भुरकाव करें या घुलनशील सल्फर 45 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में स्प्रे करें।
-विकल्प के तौर पर थायो यूरिया 7 से 8 ग्राम प्रति 15 लीटर पम्प से स्प्रे कर सकते हैं।
– व्यापारिक गंधक का तेजाब सल्फ्यूरिक एसिड 15 एमएल प्रति पंप स्प्रे कर सकते हैं।
– इसका असर 2 सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर पाले की आशंका बनी रहे तो गंधक के तेजाब के छिड़काव को 15-15 दिन के अंतराल पर दोहराते रहे।
– सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है।
-जैविक उपचार के रूप में -गौमूत्र यदि ताजा हो तो 500 एमएल/टंकी या पुराना हो तो 250 एमएल/टंकी का स्प्रे कर सकते हंै।
-500 एमएल कच्चा दूध/टंकी स्प्रे कर सकते हैं।
-सादा ग्लूकोस 25 से ३0 ग्राम प्रति पम्प स्प्रे कर सकते हैं।
-यदि फसल पाले से प्रभावित हो गई हो तो तुरंत ग्लूकोस का स्प्रे भी कर सकते हैं।
-फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेढ़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थान पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, एवं जामुन आदि के पेड़ लगाएं।
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अगले 2 दिन पड़ सकता है पाला
अगले 2 दिन गुना जिले एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में पाला पडऩे की संभावना है अत: किसान भाई फसलों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय सुनिश्चित करें। सब्जियों में हल्की सिंचाई निरंतर करते रहें। चना, धनिया, सरसों आदि फसलों में हल्की सिंचाई करें या 500 पीपीएम थियोरिया (1000 लीटर पानी में 500 ग्राम) का छिड़काव करें।

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