इस रेस्क्यू अभियान में गुना और राजस्थान की एनडीआरएफ की टीम ने साहसिक काम किया। रेस्क्यू करते विमान का ईंधन खत्म हो गया तो वह ईंधन लेने भोपाल गया, वहां से लौटकर फिर जुटा रहा। मध्यप्रदेश एवं राजस्थान की सीमा पार्वती नदी की दो धाराओं बीच में आने वाला सोडा गांव मध्य प्रदेश की बसा गुना जिले के फतेहगढ़ थाना क्षेत्र में ओर है. पिछले 10 दिनों से क्षेत्र में भारी बारिश के बाद पार्वती नदी में आए उफान के कारण मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ था.
पिछले 48 घंटों में लगातार गांव में पानी बढ़ने के बाद यहां रहने वाले 50 से अधिक परिवारों के 200 लोगों की जान जोखिम में आ गई । शनिवार सुबह इनको निकालने का अभियान शुरू किया गया. कैलाशपुरी से शुरू हुए इस अभियान के तहत सुबह 6.०० बजे से दोपहर 12.00 बजे तक हेलीकॉप्टर एवं एनडीआरएफ की टीमों द्वारा पार्वती नदी के उफान के बीच गांव के 187 महिला पुरुष और एवं बच्चों को रेस्क्यू करके निकाला गया।
सेना के हेलीकॉप्टर ने 6 चक्कर में ग्रामीणों को निकाला, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान से आई एनडीआरएफ की दो टीमों के 55 जवान भी जान जोखिम में डाल बहादुरी से ग्रामीणों को सुरक्षित निकालने के अभियान में लगे रहे। इस दौरान सोडा गांव के कुछ ग्रामीणों ने आने से मना किया तो पुलिस के जवानों को भेजकर उन्हें समझाइश की गई। इसके बाद सभी आने को तैयार हुए।
सोडा से रेस्क्यू कर कैलाशपुरी गांव लाए गए ग्रामीणों को भुआखेड़ी स्कूल में ठहराया गया जहां इनके खाने पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई। अभियान के दौरान एनडीआरएफ के जवान एक 10 दिन की प्रसूता एवं उसके बच्चे को भी पार्वती के उफान में बोट के सहारे सुरक्षित लेकर पहुंचे। उसे खाट पर सुरक्षित लिटा कर बेस कैंप तक पहुंचाया। बच्ची को जब जवानों ने अपने हाथों में लिया तो वह मुस्कुरा उठी। मासूम की मुस्कुराहट देख सभी जवान भी मुस्कुरा उठे.