फसल तैयार होने में करीब चार महीने इंतजार भी किया। मगर जब कटाई की बारी आई तो सोयाबीन की पैदावार लागत से भी कम हुई। जबकि उपज निकलवाने में थ्रेशर व मजदूरों का खर्चा अलग से होता। इसी बात से दुखी होकर बुधवार को किसान ने अपनी सोयाबीन फसल में आग लगा दी। बताया जा रहा है कि सोयाबीन की फसल में रोग लगने से कम पैदावार और फसल खराब होने की स्थिति बनी थी।
फसल बीमा में नियम बने बाधक
किसान अपनी फसल का बीमा इसलिए कराता है कि कोई रोग एवं अन्य किसी कारण से फसल खराब और पैदावार नहीं हो तो उसे मुआवजा मिल सके। मगर बीमा दावा की राशि प्राप्त करने में किसान को कई नियमों की बाधा से जूझना पड़ता है। इसके बाद भी उसे बीमा क्लेम नहीं मिल पाता है। ऐसा ही मामला किसान पूरन सिंह लोधी के साथ हुआ है। जब उन्होंने फसल खराब होने पर अधिकारियों को सूचना दी तो रायसेन से बीमा कंपनी के सर्वेयरों ने फसल का निरीक्षण किया। उन्होंने भी माना कि फसल खराब हो गई है। मगर किसान को बीमा कराने के बाद भी मुआवजा नहीं मिलेगा। क्योंकि इस क्षेत्र की 250 एकड़ खेती में यदि सोयाबीन की बोवनी की जाती तो ही किसान को बीमा क्लेम मिल पाएगा। इसी वजह से किसान ने दुखी होकर अपनी सोयाबीन उपज में आग लगा दी।
किसान अपनी फसल का बीमा इसलिए कराता है कि कोई रोग एवं अन्य किसी कारण से फसल खराब और पैदावार नहीं हो तो उसे मुआवजा मिल सके। मगर बीमा दावा की राशि प्राप्त करने में किसान को कई नियमों की बाधा से जूझना पड़ता है। इसके बाद भी उसे बीमा क्लेम नहीं मिल पाता है। ऐसा ही मामला किसान पूरन सिंह लोधी के साथ हुआ है। जब उन्होंने फसल खराब होने पर अधिकारियों को सूचना दी तो रायसेन से बीमा कंपनी के सर्वेयरों ने फसल का निरीक्षण किया। उन्होंने भी माना कि फसल खराब हो गई है। मगर किसान को बीमा कराने के बाद भी मुआवजा नहीं मिलेगा। क्योंकि इस क्षेत्र की 250 एकड़ खेती में यदि सोयाबीन की बोवनी की जाती तो ही किसान को बीमा क्लेम मिल पाएगा। इसी वजह से किसान ने दुखी होकर अपनी सोयाबीन उपज में आग लगा दी।
कर्ज के बोझ से दब रहा किसान
छोटे और मध्यमवर्गीय किसान अब रबी सीजन की फसलों की बोवनी कैसे करेंगे। इसके लिए कई किसानों को बैंक या साहूकारों की मदद की जरुरत होती है। जब बैंक से कर्ज नहीं मिल पाता तो किसान साहूकार से कर्ज लेकर फसल की बोवनी करता और फिर फसल की पैदावार होने के बाद लोन चुकाया जाता है। मगर किसान हर साल कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है।
छोटे और मध्यमवर्गीय किसान अब रबी सीजन की फसलों की बोवनी कैसे करेंगे। इसके लिए कई किसानों को बैंक या साहूकारों की मदद की जरुरत होती है। जब बैंक से कर्ज नहीं मिल पाता तो किसान साहूकार से कर्ज लेकर फसल की बोवनी करता और फिर फसल की पैदावार होने के बाद लोन चुकाया जाता है। मगर किसान हर साल कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है।
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मैंने अपनी 18 एकड़ जमीन में से छह एकड़ खेत में करीब 50 हजार रुपए खर्च कर ढाई क्विंटल सोयाबीन बोया था। मगर फसल कटने के बाद लागत भी नहीं निकल रही थी। बीमा कराने के बाद भी क्लेम नहीं मिल रहा था। इसी बात से दुखी होकर मैंने बुधवार को अपनी सोयाबीन
उपज में आग लगा दी।
-पूरन सिंह लोधी, किसान शाहपुर पंचायत।
मैंने अपनी 18 एकड़ जमीन में से छह एकड़ खेत में करीब 50 हजार रुपए खर्च कर ढाई क्विंटल सोयाबीन बोया था। मगर फसल कटने के बाद लागत भी नहीं निकल रही थी। बीमा कराने के बाद भी क्लेम नहीं मिल रहा था। इसी बात से दुखी होकर मैंने बुधवार को अपनी सोयाबीन
उपज में आग लगा दी।
-पूरन सिंह लोधी, किसान शाहपुर पंचायत।
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सांची जनपद पंचायत के शाहपुर व मुकटापुर गांव के तीन से चार किसानों ने सोयाबीन बोया था। फसल खराब होने के कारण उनकी लागत भी नहीं निकल रही थी। जिसकी वजह किसानों को नुकसान हुआ है।
-धर्मेन्द्र धुर्वे, पटवारी शाहपुर क्षेत्र।
सांची जनपद पंचायत के शाहपुर व मुकटापुर गांव के तीन से चार किसानों ने सोयाबीन बोया था। फसल खराब होने के कारण उनकी लागत भी नहीं निकल रही थी। जिसकी वजह किसानों को नुकसान हुआ है।
-धर्मेन्द्र धुर्वे, पटवारी शाहपुर क्षेत्र।