बता दें कि जिला अस्पताल के जिस ब्लड बैंक पर अब जिलेवासी गर्व कर सकते हैं। क्योंकि इससे पहले स्थिति ऐसी थी कि ब्लड बैंक का लाइसेंस रिन्यू तक नहीं हो पा रहा था। इसे शासन ने गंभीरता से लिया। जिसके बाद ब्लड बैंक के कायाकल्प के लिए बड़ा बजट खर्च किया गया। सबसे पहले भवन का जीर्णोद्धार हुआ। इस काम पर करीब 26 लाख रुपए की राशि खर्च हुई है। सभी कक्षों में नए एयरकंडीशनर लगाए गए हैें।
– ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली हुई ऑनलाइन ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ अशोक कुमार के अनुसार पहले और अब के ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली में बहुत अंतर आ गया है। पहले जहां काफी काम मैन्युअल तरीके से होता था। लेकिन अब लगभग पूरा काम ऑनलाइन हो गया है। जैसे हमें किसी ग्रुप का ब्लड चाहिए तो उसे खोजने के लिए रेफ्रिजरेटर में रखे एक-एक बैग को देखने की जरूरत नहीं है। इसके लिए हमारे पास आरएफआईडी ट्रे से लेस रेफ्रिजरेटर हैं। कम्प्यूटर पर ब्लड ग्रुप लिखते ही लोकेशन ट्रेस हो जाएगी और मैसेज स्क्रीन पर आ जाएगा कि रेफ्रिजरेटर में किस जगह इस ग्रुप का ब्लड बैग रखा है।
– किस मशीन के क्या लाभ जेल (gel machine) कार्ड मशीन : इसी मशीन की कीमत करीब एक लाख 47 हजार रुपए है। इसके जरिए बहुत कम समय में पता किया जा सकता है कि ब्लड डोनर के रक्त में एंटी बॉडी मौजूद हैं या नहीं। क्योंकि जिस व्यक्ति को ब्लड चढ़ाए जाना है, वह रक्त पूरी तरह से सुरक्षित होना बेहद जरूरी है।
– सीएलआइए मशीन : इस मशीन की कीमत करीब 50 लाख रुपए है। रक्त की विशेष जांच में इसकी उपयोगिता बहुत ज्यादा कारगर है। डोनर द्वारा दिए गए रक्त की जांच करने पर यह पता चल जाता है कि इस खून में हेपेटाइटिस बी, सी के अलावा सिफलिस या एचआईवी का संक्रमण मौजूद है या नहीं। खास बात यह है कि इस मशीन की जांच इतनी ज्यादा इफेक्टिव है कि डोनर के ब्लड में विंडो पीरियड (वह अवधि जिसमें रक्तदाता के रक्त में संक्रमण तो आ चुका होता है लेकिन वह सामान्य रक्त परीक्षण में नहीं आता) के दौरान छुपे हुए बीमारी के लक्षण यह मशीन डिटेक्ट कर लेती है।
– ऑटोमेटिक ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर : एक रक्त यूनिट से 4 कंपोनेंट को पृथक करने की सुविधा मिल गई है। जिससे अब मरीजों को पैक्ड आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स एवं क्रायोप्रिसिटेट मिल पा रहा है। प्लाज्मा से बर्न, प्लेटलेट्स से डेंगू, पीआरबीसी से एनीमिया, क्रायोप्रिसिटेट से ब्लीडिंग कंट्रोल के मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है। सेपरेटर मशीन के लगने से अब एक ही ब्लड को चार तरह से उपयोग किए जाने लगा है। वहीं ब्लड ट्रांसफ्यूजन के क्रम में होने वाली रिएक्शन की आशंका भी कम हो गई है।
– एक्सपर्ट व्यू : डॉ अशोक कुमार ब्रदैया, ऑफीसर ब्लड बैंक हमारा ब्लड बैंक एडवांस टेक्नोलॉजी से हो गया है लैस हमारे ब्लड बैंक में तीन मशीनें एडवांस टेक्नोलॉजी की उपलब्ध हैं। जिससे ब्लड डोनर के रक्त की जांच अब हम बहुत ज्यादा इफेक्टिव तरीके से करने में सक्षम हो गए हैं। खास बात यह है जांच की यह आधुनिक सुविधा प्रदेश के 19 जिलों में ही उपलब्ध है। इससे पहले न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट के लिए सैंपल भोपाल भेजने पड़ते थे। वहां से जांच रिपोर्ट आने में समय लगता था। लेकिन अब हर तरह की जांच करने की सुविधा हमारे ब्लड बैंक में ही उपलब्ध है। ऐसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग नियमित रूप से हो सके और मरीजों को सुरक्षित रक्त मिल सके, इसके लिए बहुत जरूरी है कि रक्त सेंटर में पर्याप्त मात्रा में रक्त उपलब्ध हो। इसके लिए जिले वासियों की रक्तदान में सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।