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Chabahar Port पर विदेश मंत्रालय का बयान, कहा- कठिनाइयों के बावजूद, पोर्ट परियोजना पर अहम प्रगति

Highlights

भारतीय कंपनी 2018 से पोर्ट का संचालन कर रही है और चाबहार पोर्ट (Chabahar Port )पर यातायात को लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
दिसंबर 2018 से 82 जहाजों (Ships) का संचालन इस पोर्ट के जरिये हुआ है, इनमें से 52 बीते बारह महीनों में संचालित किए गए है।

Jul 17, 2020 / 04:12 pm

Mohit Saxena

ईरान में चाबहार पोर्ट।

काबुल। चाबहार-जहिदान रेल परियोजना को लेकर भारत को बाहर किये जाने की खबरों पर विदेश मंत्रालय ने अपनी सफाई पेश की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार उन्होंने चाबहार पोर्ट (Chabahar Port ) और चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना (Railway Project) के बारे में कुछ अटकलों को देखा है। प्रवक्ता ने कहा चाबहार पर काम 2003 से चल रहा है। भारत की एक लंबी प्रतिबद्धता को अंततः 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ईरान यात्रा के दौरान चालू किया गया था। इसके बाद से प्रतिबंधों की स्थिति से उत्पन्न कठिनाइयों के बावजूद, पोर्ट परियोजना पर अहम प्रगति हुई है।
पोर्ट पर यातायात को लगातार बढ़ाने की कोशिश

गौरतलब है कि भारतीय कंपनी 2018 से पोर्ट का संचालन कर रही है और पोर्ट पर यातायात को लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। दिसंबर 2018 से 82 जहाजों का संचालन इस पोर्ट के जरिये हुआ है, इनमें से 52 बीते बारह महीनों में संचालित किए गए है। पोर्ट ने 12 लाख टन बल्क कार्गो और 8200 कंटेनरों को संभाला। इस समय अफगानिस्तान और मध्य एशिया दोनों के लिए चाबहार पोर्ट के उपयोग को आगे बढ़ाने के खास उपाय किए जा रहे हैं।
प्रवक्ता के अनुसार यहा रेलवे लाइन का भी प्रस्तावित है, इरकॉन को भारत सरकार की ओर से इसका आकलन करने के लिए नियुक्त किया गया था। यह ईरान के रेल मंत्रालय के अधीन सीडीटीआईसी के साथ काम कर रहा था। इरकॉन ने साइट निरीक्षण और समीक्षा पूरी कर ली है। परियोजना के अन्य प्रासंगिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हो रही है। वित्तीय चुनौतियों पर भी ध्यान दिया गया, जिनका ईरान सामना कर रहा था।
विदेश मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2019 में तेहरान में 19 वीं भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक की समीक्षा की गई। ईरानी पक्ष को उत्कृष्ट तकनीकी और वित्तीय मुद्दों को अंतिम रूप देने के लिए एक अधिकृत संस्था को नामित करना था। यह अभी भी प्रतीक्षित है।
ईरान द्वारा नीतिगत बदलाव

प्रवक्ता के अनुसार फरज़ाद-बी गैस फील्ड वार्ता के संबंध में कुछ रिपोर्टें भी सामने आई हैं जिनमें ओएनजीसी खोज के स्तर पर शामिल था। प्रवक्ता के मुताबिक ईरान द्वारा नीतिगत बदलाव से द्विपक्षीय सहयोग प्रभावित हुआ था। जनवरी 2020 में, हमें सूचित किया गया कि निकट भविष्य में, ईरान अपने दम पर इस क्षेत्र का विकास करेगा और बाद के चरण में भारत को उचित रूप से शामिल करना चाहेगा। इसपर अभी चर्चा चल रही है।
रेल प्रोजेक्‍ट को लेकर खुश

चीन चाबहार पोर्ट के विकास के अंतर्गत आने वाले जिस रेल प्रोजेक्‍ट को लेकर खुश हो रहा है वो उसके लिए आर्थिक तौर पर लाभ का सौदा जरूर है। चीन रणनीति पर लगातार नजर रखने वाले जानकार मानते हैं कि चीन पाकिस्‍तान हो या श्रीलंका या अन्‍य कोई देश। वो जरूरतमंद, गरीब और मजबूर देशों पर अपने कर्ज का बोझ इस कदर डाल देना चाहता है जिससे वे उसकी हर बात को मानने के लिए तैयार हो जाएं। ईरान की खुद चाहता है कि वह मध्‍य एशिया में एक बड़ी ताकत बन जाए। ऐसे में वह चीन प्रलोभन में फंसता जा रहा है।

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