ऋषि विश्रवा की तपोस्थली एवं रावण जन्म भूमि बिसरख धाम में महापंडित रावण यानी राजा लंकेश की पूजा अर्चना की गई। बिसरख गांव में रावण लंकेश्वर को पुष्पांजलि अर्पित की गई। साथ ही हवन व भंडारे का आयोजन किया गया। यहां सामूहिक शस्त्र पूजन भी किया गया। उसके बाद में 2 मिनट का मौन रखा गया। रावण मन्दिर के प्रमुख आचार्य अशोकानंद जी महाराज ने बताया कि इस मौके पर बिसरख धाम में देश व विदेश के सैंकड़ो लोग का आगमन हुआ। आचार्य अशोकानंद जी महाराज ने कहा रावण का पुतला जलाने से बुराई नही खत्म हो सकती। यह संस्कारों से ही खत्म होगी। किसी का दाह संस्कार जीवन मे एक ही बार होता है बार बार नहीं।
पुराणों के अनुसार बिसरख गांव रावण का जन्मस्थली माना जाता है। बिसरख गांव में रावण के पिता ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। बिसरख गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलते है। त्रेता युग में इसी गांव में ऋषि विश्रवा के घर रावण का जन्म हुआ था। इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। मान्यता है कि इस अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कॉंग्रेस नेता पंडित पीताम्बर शर्मा उपस्थित रहे। पिताम्बर शर्मा ने कहा कि महापंडित रावण का सम्मान समस्त ब्राह्मण जाति का सम्मान है। इसके लिए सब को एकजुट होना चाहिए। वरिष्ठ अतिथि अजय प्रधान बिसरख ने कहा कि बिसरखधाम शिव नगरी है। इसकी पहचान विश्वस्तर पर है। इनके अलावा एडवोकेट रामवीर शर्मा, रामबीर, ज्ञानचंद शर्मा, आचार्य अखिलेश शास्त्री, गोपाल शर्मा, संदीप शर्मा आदि मौजूद रहे।