एयरपोर्ट के साथ नाइट सफारी के निर्माण में भी आनी है तेजी यूपी में योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही जेवर एयरपोर्ट को हरी झंडी दे दी थी। एयरपोर्ट के निर्माण के लिए फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कसलटेंट कंपनी नियुक्त की जा चुकी है। साथ ही जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। एयरपोर्ट के निर्माण के साथ में इस एरिया को पर्यटक स्थल के रूप में डवलप किए जाने का फैसला लिया गया था। नाइट सफारी प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए कवायद शुरू की गई, लेकिन अभी यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था।
कैसीनो से लेकर पाइव स्टार होटल तक का होगा निर्माण यमुना एक्सप्रेस-वे को देखते हुए नाइट सफारी के निर्माण का सपना भी देखा गया। दरअसल, यमुना एक्सप्रेस-वे से ताज का दीदार करने वालों की कमी नहीं है। यहां से हर दिन हजारों की संख्या में सैलानी ताज देखने जाते हैं। ऐसे में रास्ते में नाइट सफारी होने की वजह से पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। पर्यटकों को देखते हुए नाइट सफारी के पास कैसीनो, फाइव व सेवन स्टार होटल, पब और बार भी बनाए जाने हैं।
678 करोड़ रुपये खर्च होने हैं नाइट सफारी के लिए इंटरनेशनल स्तर पर पहचान बना चुके ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे नाइट सफारी की योजना बनाई गई थी। मुरशदपुर के पास 220 एकड़ जमीन में 678 करोड़ रुपये के खर्च से नाइट सफारी का निर्माण होना है। 20 अगस्त 2013 में यूपी कैबिनेट से भी प्रस्ताव पास हो गया था। डिजाइन तैयार होने के बाद भी यह परियोजना अभी तक ठंडे बस्ते में है।
निर्माण कार्य के लिए जल्द होगी प्लानिंग ग्रेंटर नोएडा अथॉरिटी की जीएम प्लानिंग लीनू सहगल ने बताया कि अभी प्रोजेक्ट पर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए जल्द ही प्लानिंग की जाएगी।
इंटरनेशनल लेवल पर होगी ग्रनो की पहचान पर्यटक स्थल के रुप में डेवलप करने के लिए नाइट सफारी का निर्माण भी किया जाना है। इसके निर्माण की नींव 2007 में रखी गई थी। इसके लिए नाइट सफारी को 2007 में केन्द्रीय जू अथॉरिटी और 2008 में सुप्रीम कोर्ट से एनओसी मिल गई थी। सिंगापुर, थाईलैंड व चाइना के बाद ग्रेटर नोएडा में यह चौथी नाइट सफारी बनाई जानी है। इसके लिए यमुना एक्सप्रेस-वे के मुशरदपुर गांव के पास जमीन चिन्हित कर ली गई है। इस प्रोजेक्ट के लिए सिंगापुर के विश्व प्रसिद्ध नाइट सफारी बनार्ड हैरीसन को कंसलटेंट नियुक्त किया गया था। लेकिन, बीएसपी सरकार में यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।