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1999 में गौतमबुद्धनगर के फेस-2 और ग्रेटर नोएडा में 2002 में मोजर बेयर की यूनिट शुरू हुई थी। 2006 में कंपनी ने पूरी तरह उत्पादन शुरू हो गया था। कंपनी की तरफ से 15 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दिया जा रहा था। इसके अलावा हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल रहा था। उस दौरान कंपनी में 11 हजार स्थायी और चार हजार अस्थायी कर्मचारी थी। इसी बीच कंपनी की धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई। मोजर बेयर कंपनी की 50 से अधिक वेंडर कंपनी थी। जिनमें हजारों लोग काम करते है। मोजर बेयर कंपनी को बंद होने के बाद में उनकी रोजी रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है। दरअसल में कई कंपनी पहले ही बंद हो गई थी। अब अन्य कंपनियों पर भी संकट खड़ा हो गया है। दुनिया की दूसरे नंबर की कंपनी बंद होने से गौतमबुद्धनगर के विकास को भी करारा झटका लगा है। कंपनी प्रबंधकों पर लगाए वर्करों ने गंभीर आरोप कंपनी की वर्कर यूनियन ने एनसीएलटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट और आर्थिक अपराध शाखा में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। वर्करों का आरोप है कि कंपनी मालिक ने राजनीतिक संबंधों का फायदा उठाया है। सरकार से बड़ा लोन ले लिया और संबंधों का फायदा उठाते हुए चार से पांच कंपनी खोल ली। लोन वापस देने के समय दिवालिया घोषित कर दिया। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने 4356 करोड़ का लोन माफ करा लिया। कर्मचारी सतेंद्र नागर ने आरोप लगाए है कि कंपनी 30 हजार करोड़ की बन चुकी थी। कंपनी को काफी फायदा हो रहा था, लेकिन पैसा दूसरी कंपनियों में लगा दिया।
पहले ही बंद हो चुकी थी कंपनी कंपनी कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें झूठकर बोलकर निकाल दिया था। एक नवंबर को जनरेटर प्लांट में काम होने की वजह से कंपनी बंद होने का नोटिस दिया गया था। लेकिन जब 3 नवंबर को कंपनी गए तो वहां ताला लगा हुआ था। उस समय कंपनी में 2280 कर्मचारी नौकरी कर रहे थे।