योगी सरकार में बदल गई मायावती के गांव की तस्वीर, अब दिखता है कुछ ऐसा
ग्रेटर नोएडा. उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती का गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव की रहने वाली है। 1997 में मायावती पहली बार यूपी की सीएम बनी थी। इस दौरान बादलपुर गांव के विकास कार्य होने शुरू हो गए थे। मायावती का गांव किसी महानगर से कम नहीं था। बिजली, पानी, स्कूल, कॉलेज, गेस्ट हाउस, अस्पताल आदि की शानदार बिल्डिंग। साथ ही गांव की चौड़ी और कंक्रीट की सड़क को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि यह गांव है या फिर शहर। लेकिन समय न करवट नहीं और बहुत कुछ बदल गया।
बादलपुर गांव में अंबेडकर पार्क, कोठी और हैलीपैड भी खास है। करोड़ों की लगात से तैयार किया गया था। हालाकि सत्ता में पहली बार आई मायावती के गांव का कायापलट शुरू कर दिया गया था। अथॉरिटी ने 2007 में 232 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की। 2008 में धारा-6 की कार्रवाई की गई। जमीन पर कब्जा लेकर विकास योजनाओं का काम किया गया। दो पार्क बनाए हैं। इनमें डॉ. अम्बेड़कर पार्क 91 हजार वर्ग मीटर में तैयार किया गया। इसके निर्माण में 150 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। दूसरा गौतमबुद्ध पार्क है, जो 32 हजार वर्ग मीटर में बना है। करीब 100 करोड़ रुपये निर्माण में खर्च किए गए हैं। मायावती के गांव के सड़कों पर कभी झांडियां भी खड़ी नहीं होती थी। लेकिन इन दिनों कोई कमी नहीं है। गांव की शक्ल पूरी तरह बदल चुकी है। गांव में गंदगी के अंबार लगे हुए है। जबकि उनके सत्ता में रहते हुए अफसर व कर्मचारी गांव में डेरा डाले हुए रहते थे। ग्रामीणों सुदेश ने बताया कि अखिलेश सरकार में ही बिजली व्यवस्था ठप हो गई थी। वहीं पानी की सप्लाई ठीक नहीं है।
कोतवाली की बनाई गई थी शानदार बिल्डिंग कभी मायावती के गांव बादलपुर में चौकी हुआ करती थी। लेकिन मायावती के सीएम बनने के बाद में चौकी की जगह कोतवाली बनाई गई। ताकि कानून-व्यवस्था को दुरस्त रखा जा सके। चार मंजिला भवन की इस कोतवाली का गिनती चुनिन्दा कोतवालियों में होती है। अथॉरिटी ने करोड़ों रुपये खर्च कर कोतवाली का निर्माण किया था। कोतवाली प्रभारी के आॅफिस के सा-साथ पुलिसकर्मियों के रहने की भी व्यवस्था है। लेकिन धीरे-धीरे अब बिल्डिंग की देख-रेख न होने की वजह से दीवार पर लगा पत्थर टूटकर गिरने लगा है। लेकिन अब उसे कोई देखने वाला नहीं है।
डेडीकेटेड रोड का निर्माण है अधूरा नोएडा और ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाली 130 मीटर एक्सप्रेस-वे के लिए बादलपुर से रोड का निर्माण किया जाना था। इस रोड का निर्माण कार्य मायावती के कार्यकाल में शुरू किया गया था। सत्ता से कुर्सी जाने के बाद से रोड का निर्माण अधूरा है। यह रोड बादलपुर से 130 मीटर एक्सप्रेस-वे तक जोड़ी जानी थी। फिलहाल यह रोड बादलपुर से अच्छेजा गांव तक ही सिमट कर रह गई। सालों से यह रोड निर्माण की बाट जोह रहा है। हालाकि यूपी में आई अखिलेश सरकार ने कई प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी।
गांव को कर दिया था महानगर में तब्दील गांव में करोड़ों रुपये की लागत से बिजली, पानी, कंक्रीट की सड़क, खूबसूरत पार्क आदि का निर्माण किया गया था। इसके अलावा सत्ता में रहते हुए मायावती के गांव में 24 घटें बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध रहती थी। बादलपुर गांव में बिजली पानी, रोड आदि की सुविधाओं को देने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को करीब 400 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े थे। ग्रामीणों की माने तो बिजली और पानी की सुविधा अखिलेश सरकार में ही कम हो गई थी। बिजली 24 घटें की जगह 16 से 18 घंटें आ रही है। पानी की टंकी की देखरेख न होने की वजह से पानी भी नहीं आ रहा है।
सैंकड़ों कर्मचारी करते थे काम 4 बार सीएम रही मायावती ने बादलपुर में कुमारी मायावती के समय में राजकीय इंटर बालिका कॉलेज, कुमारी मायावती महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज, कुमारी मायावती राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डॉ.भीमराव अम्बेडकर गेस्ट हाउस, मंगल सैन राजकीय चिकित्सालय, मंगल सैन राजकीय पशु चिकित्सालय, मंगल सैन सामुदायिक केन्द्र, गेस्ट हाउस, दलित पार्क, हैलीपैड, एक कोठी का निर्माण हुआ था। ग्रामीणों ने बताया कि इनकी देखरेख में सैकड़ों कर्मचारियों को लगाया गया था। लेकिन सत्ता जाने के बाद अधिकतर कर्मचारियों को हटा लिया गया।
करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हुआ था हैलीपैड बादलपुर गांव में गेस्ट हाउस और पार्कों के बीच की जमीन पर डॉ.भीमराव अम्बेडकर हैलीपैड का निर्माण किया गया था। निर्माण पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन अब हालत खस्ता है।