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होली में बन रहा है यह संयोग, ऐसे पूजा करने पर मिलेंगे अच्छे परिणाम होली को लेकर हर वर्ग में क्रेज होता है। देशभर में होली खेलने के अलग-अलग तरीके है। कहीं लठमार होली मनाई जाती है तो कहीं फूलों की। इस दौरान महिलाओं में भी क्रेज देखने को मिलता है। महिला भी होली खेलने से पीछे नहीं रहती है। वहीं दुल्हैंडी के एक दिन पहले से ही पूजन भी शुरू हो जाता है। महिला होलिका दहन के दिन पूजन करती है। होली के दहन और पूजन के समय को लेकर उलझन में रहने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिषाचार्य शिवा गौड ने बताया कि पूर्णिमा के साथ भद्रा काल भी होगा। ऐसे में होलिका दहन और पूजन के लिए सहीं मुहूर्त होना बेहद जरुरी है। सुबह 11.05 बजे के बाद में होलिका पूजन कर सकते है। वहीं शाम को 7.37 मिनट पर भद्रा काल समाप्त हो जाएगा। उसके बाद में होलिका दहन करना शुभ होगा। उन्होंने बताया कि पूर्णिमा, प्रदोष काल और भद्रा न होने की वजह से शुभ मुहूर्त होगा। उन्होंने बताया कि एक मार्च की सुबह 8.57 बजे से पूर्णिमा शुरू होगी और यह 2 मार्च की सुबह करीब 6.18 बजे समाप्त होगी। यह भी पढ़ेंं: अगर आपके यहां रहते है बुजुर्ग तो हर हफ्ते घर आएगी पुलिस, जानें क्यों इस समय करें होलिका पूजन सुबह: 11 से 12.30 बजे तक
दोपहर 1.10 बजे से 1.56 बजे तक
शाम 4.50 बजे से 6.15 बजे तक होलिका दहन भद्रा काल शाम 7.37 बजे समाप्त होगा। उसके बाद में प्रदोष काल शुरू होगा। प्रदोष काल शुभ होता है। प्रदोष काल में शाम 7.40 बजे से लेकर 8.50 बजे तक होलिका दहन कर सकते है।
दोपहर 1.10 बजे से 1.56 बजे तक
शाम 4.50 बजे से 6.15 बजे तक होलिका दहन भद्रा काल शाम 7.37 बजे समाप्त होगा। उसके बाद में प्रदोष काल शुरू होगा। प्रदोष काल शुभ होता है। प्रदोष काल में शाम 7.40 बजे से लेकर 8.50 बजे तक होलिका दहन कर सकते है।