राघवेंद्र ने बाइक पर जा रहे विक्रम नाम के इस शख्स को अपनी कार से निकालकर एक हेलमेट दिया। साथ ही उससे कहा कि हाईवे पर बिना हेलमेट बाइक चलाकर आप जान जोखिम में क्यों डाल रहे हैं? विक्रम ने दोनों हाथ जोड़कर राघवेंद्र का शुक्रिया किया और हेलमेट लगाकर आगे बढ़ गए।
राघवेंद्र 9 साल से सड़कों पर बांट रहे हेलमेट
राघवेंद्र ने बुधवार को पहली बार किसी को सड़क पर इस तरह से हेलमेट नहीं दिया है। बीते 9 साल से राघवेंद्र इसी तरह से देशभर में सड़कों पर घूमते रहते हैं। जब कोई बाइक पर बिना हेलमेट के जाते हुए दिखता है तो उसको रोकते हैं। वो उसके सामने हाथ जोड़कर अपनी जिंदगी को अहमियत देने के लिए कहते हैं। फिर एक हेलमेट अपने पास से उसको फ्री में दे देते हैं।
घर बेचकर लोगों में हेलमेट बांद दिए
ग्रेटर नोएडा के रहने वाले और हेलमेट मैन के नाम से मशहूर राघवेंद्र कुमार 56 हजार से ज्यादा हेलमेट अब तक बांट चुके हैं। ये सब उनके लिए बहुत आसान नहीं रहा है। अपनी इस मुहिम के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। जो जमा पूंजी थी, वो खत्म हो गई। इसके बाद ग्रेटर नोएडा का अपना घर इस नेक काम के लिए बेच दिया।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, घर बेचने से आए पैसों से भी वो हेलमेट लोगों में बांट चुके हैं। इसके बाद पत्नी के गहनों के बदले भी उन्होंने कर्ज ले लिया है। रोड सेफ्टी के कई अभियानों से जुड़े राघवेंद्र कहते हैं कि उनको आर्थिक समर्थन नहीं मिला है। जिससे उनको दुख होता है लेकिन जो किया है, उसका कोई मलाल नहीं है।
हेलमेट बांटते रहेंगे, पीछे नहीं हटेंगे: राघवेंद्र
राघवेंद्र का कहना है कि उनकी पत्नी धनलक्ष्मी और बेटा हमेशा उनको सपोर्ट करते हैं और आज भी हर तरह से उनके साथ खड़े हैं। राघवेंद्र कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा का घर बिक जाने के बाद वो बिहार के अपने पिता के घर में जाकर रहने की सोच रहे हैं।
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राघवेंद्र कहते हैं कि लोगों को हेलमेट पहनने के लिए जागरुक करने की जो मुहिम वो चला रहे हैं, उसे रुकने नहीं देंगे। इसके लिए चाहे जितनी परेशानी उनको उठानी पड़े। राघवेंद्र ये भी कहते हैं कि वो नाउम्मीद नहीं हैं, उनको आशा है कि जरूर सरकार या किसी संस्था से उनको मदद मिलेगी।
नितिन गडकरी कर चुके हैं तारीफ
राघवेंद्र की इस मुहिम के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी तारीफ कर चुके हैं। राघवेंद्र ने 2014 में अपने जिगरी दोस्त कृष्णा को सड़क हादसे में खो दिया था। कृष्णा की मौत की वजह वो उसके बाइक पर बिना हेलमेट होने को मानते हैं।
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अपने मां-पिता के इकलौते बेटे कृष्णा की मौत ने राघवेंद्र को झकझोरकर रख दिया। राघवेंद्र ने संकल्प लिया कि जिस तरह उनका दोस्त मरा, किसी और के घर का चिराग ऐसे नहीं बुझने देंगे। तभी से उन्होंने नौकरी छोड़ी और देशभर में लोगों को हेलमेट बांटने का बीड़ा उठा लिया। राघवेंद्र देशभर में सड़क सुरक्षा से जुड़े कई अभियान चला रहे हैं।