ग्रेटर नोएडा।ग्रेटर नोएडा वेस्ट शाहबेरी जहां आज लाशों का ढ़ेहर लगा हुआ है, मलबों में दबे अपनों को परिजन आैर रिश्तेदार नम अांखों से तलाश रहे हैं, तो वहीं मलबे से निकली इन लाशों का कुछ पता नहीं है।उन्हें क्या पता था जिस जमीन को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में किसानों पर रहम कर खेती के लिए छोड़ा था, वहीं पर पैसों की चाहत में अंधे हुए कुछ लोग उनकी मेहनत की कमार्इ के साथ अपनों की जान भी ले लेंगे।यहां कुछ लोग अपनों की तलाश में व कुछ लाशों के पास फूट-फूटकर रो रहे हैं।मृतकों के परिजन बस यहीं पूछ रहे है कि आज जिन बिल्डिंग आैर फ्लैटों को प्रशासन से लेकर सरकार अवैध बता रही है, उन्हें खड़ा ही क्यों होने दिया गया।उस पर रजिस्ट्री से लेकर बिजली, पानी आैर लोन जैसी तमाम सुविधाएं इन सरकारी अधिकारियों ने कैसे दे दी। ये सभी सवाल अब सबके जहन में उठ रहे हैं। देखिए कैसे अवैध निर्माण से लेकर सरकारी विभाग ने बिना कुछ जांच पड़ताल के इन पर लगा दी मुहर।
कृषि जमीन पर निर्माण अवैध, बिना अनुमति खड़े कर दिए गर्इ बिल्डिंग
दरअसल आज से आठ साल पूर्व बसपा सरकार में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आने वाले गांव शाहबेरी की जमीन को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अधिग्रहण किया था।किसानों ने इस पर एतराज जताया।प्राधिकरण आैर सरकार से तनानती होने पर किसान अपनी कृषि जमीन बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये।किसानों की जमीन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में किसानों के हक में फैसला सुनाते हुए उनकी कृषि जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया। यह जमीन किसानों को खेती के लिए छोड़ी गर्इ थी।वहीं किसानों व कुछ छोटे बिल्डरों ने इन जमीनों को 200 से 500 गज के प्लाॅट में काटकर इस पर अवैध निर्माण शुरू कर दिया।इतना ही नहीं शाहबेरी में दो हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर अवैध निर्माण हुआ है।जहां बिल्डरों ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर छह सात मंजिला बिल्डिंग बनाकर उन्हें फ्लैट के रूप में बेच दिया। वहीं अगर मानकों की माने तो किसान इसमें खुद ढ़ार्इ मंजिला इमारत बना सकता है।लेकिन किसान से लेकर कुछ लोगों ने किसी भी हालत में रुपया कमाने के लालच में बिल्डिंग अपार्टमेंट बना दिये गये।
मेहनत का पैसा देकर लिया था आशियाना अब पूछ रहे है यह सवाल
शाहबेरी में ही रहने वाले सुंदर ने बताया कि वह पिछले एक साल से शाहबेरी में किराए पर रह रहे है। उन्होंने अपने पिता आैर अपनी कमार्इ से कासीम विला के गिरने वाले निर्माणधीन प्रोजेक्ट में तीसरे फ्लोर पर 2 बीएचके का एक फ्लैट 16 लाख रुपये में लिया था।उन्होंने बताया कि बिल्डर ने एक साल में यह प्रोजेक्ट बनाकर खड़ा कर दिया था।अभी इस पर दो आैर मंजिल बनार्इ जा रही थी।लेकिन इससे पहले ही यह गिर गर्इ।अब हम क्या करें । हमारा पैसा कैसे मिलेंगा।आज अधिकारी कह रहे है कि यह अवैध है।सुंदर कहते है कि यह अवैध है तो बिल्डर का नक्शा कैसे पास हो गया।इन फ्लैट्स की रजिस्ट्री दादरी तहसील से हो रही थी।फिर कैसे अधिकारी अवैध जमीन आैर बिल्डिंग की रजिस्ट्री कर रहे थे।यहां पर बिल्डर बिजली, पानी आैर लोन तक दिलवाता था।एेसे में ये सरकारी विभाग कैसे इन सब सुविधाआें की अनुमति देते थे।अब हमें कहां जा रहा है कि यह सस्ते दामों में लिए गए अवैध फ्लैट थे।तब यह अधिकारी कहा गए थे।जब इनकों बनाक बेचा गया।इतना ही नहीं बिल्डर ने हर सड़क से लेकर अखबार में इतने बड़े बड़े विज्ञापन देकर फ्लैट बेचे थे।
वहीं इस मामले में जब हमने जिलाधिकारी डीएम बीएन सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले में जांच की जा रही है।यहां पर लिए गए बिजली कनेक्शन किसी काॅलोनी की जगह शाहबेरी गांव के नाम पर लिए गए है।गांव के नाम पर कनेक्शन दिए जा सकते है।काॅलोनी काटने आैर अवैध कंस्ट्रक्शन को लेकर जांच की जा रही है।