ग्रेटर नोएडा

वन मैप ने तलाशे 400 करोड़ रुपये के लापता प्लाट, अब 1500 करोड़ निवेश के बाद मिलेगा 4 हजार लोगों को रोजगार

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वन मैप ग्रेटर नोएडा योजना के तहत उद्योग के आरक्षित 138 लापता प्लॉट को तलाश लिया है। इन लापता प्लाटों की कीमत 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

ग्रेटर नोएडाOct 23, 2021 / 04:05 pm

Nitish Pandey

ग्रेटर नोएडा. सिंगापुर की तर्ज पर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहला प्राधिकरण है, जिसने वन मैप तैयार कराया है। सिंगापुर की तर्ज पर बने इस वन मैप में ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर एक जानकारी उपलब्ध है। प्राधिकरण ने ट्रायल के रूप में इसका बीटा वर्जन शुरू कर दिया है, ताकि आमजन का फीडबैक मिल सके। इसका औपचारिक शुभारंभ बाद में मुख्यमंत्री करेंगे।
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400 करोड़ से अधिक के 138 लापता प्लॉट खोज निकाले

वन मैप के जरिए प्राधिकरण को सेक्टर ईकोटेक 6 व 11 में करीब 138 औद्योगिक लापता भूखंड मिले हैं, जिनकी कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने उद्योगों के साथ ही संस्थागत, आईटी, रिहायश और वाणिज्यिक विभागों को वन मैप के जरिए भूखंडों की छानबीन करने के निर्देश दिए हैं। इन प्लाटों के आवंटन से 1500 करोड़ रुपये के निवेश का खाका तैयार किया जाएगा। जिससे बाद करीब 4 हजार युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
वन मैप पर मौजूद है सभी जानकारी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर जानकारी को आम जनता तक पहुंचाने के लिए वन मैप तैयार कराने का निर्णय लिया था। इसकी शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले कोविड काल के दौरान हुई थी। इसे प्राधिकरण की टीम और एनआईसी ने तैयार किया है। इसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट से लिंक किया गया है। उस पर क्लिक करते ही सारी जानकारी आपके सामने आ जाएगी। मसलन, सिटीजन कॉलम पर क्लिक करने से ग्रेटर नोएडा स्थित बस स्टॉप और पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, सार्वजनिक शौचालय कहां हैं, यह सब पता चल जाएगा। सेक्टर में स्थित एक-एक प्लॉट और उसके आवंटी का ब्योरा भी आप वन मैप से देख सकते हैं।
आवंटन न होने की वजह से छूट गए प्लॉट

वन मैप ग्रेटर नोएडा के जरिए जिन लापता भूखंडों का पता चला है, माना जा रहा है कि ये वे प्लॉट हैं, जो किसी स्कीम में शामिल किए गए होंगे, लेकिन वे उस स्कीम में आवंटित नहीं हुए। वे प्लॉट बच गए। ऐसे प्लॉटों को किसी दूसरी स्कीम में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के चले जाने से ये प्लॉट छूट गए। अब वन मैप के जरिये प्राधिकरण को ये प्लॉट मिल रहे हैं।
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