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शादियों में घोड़ी के इस्तेमाल पर लगी है रोक प्रशासन ने जिले में घोड़ों के आने-जाने पर रोक लगाई हुई है। बावजूद इसके शादियों में इनका खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। जिला मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एस. के. द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकारी आकड़ों के मुताबिक जिले में घोड़ों और खच्चरों की संख्या 12 सौं के करीब है। हालांकि, यह आंकड़ा 2010 में हुई पशु गणना पर आधारित है। यह भी देखें : पत्रिका टीवी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश बुलेटिन देखने के लिए क्लिक करें विभाग ने 517 घोड़ों के सैंपल जांच के लिए भेजे ग्लैंडर्स बीमारी की जांच में जुटे पशु चिकित्सा विभाग ने कुल 517 घोड़ों के सैंपल जांच के लिए हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेज दिए हैं। जिसके बाद जांच रिपोर्ट में दादरी के गौतमपुर मोहल्ले में रहने वाले रहीस की दो घोड़ियों में इस घातक बीमारी की पुष्टि हो गई है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस घोड़े को यह बीमारी होती है उसके मालिक को भी यह बीमारी होने की आशंका रहती है और यह जानलेवा बीमारी है। इसलिए मनुष्य को इस बीमारी से प्रभावित पशुओं से दूरी रखनी चाहिए।
यह भी पढ़ें : आपत्तिजनक स्थिति में सामने खड़ा हुआ देवर तो भाभी ने किया ये काम क्या है ग्लैंडर्स जानकारी के लिए बता दें कि ग्लैंडर्स बीमारी बल्कोलडेरिया मेलिआई नाम के एक वायरस से फैलती है और यह एक संक्रामक बीमारी है। जिसकी चपेट में आने के बाद घोड़ों को सांस लेने में दिक्कत होती है और नाक से पानी भी आने लगता है। इसके साथ ही धीरे-धीरे उनके शरीर पर गांठें बनती हैं जो कि फूलने के बाद सड़ने लगती है और इससे घोड़े की मौत हो जाती है। संक्रमण को रोकने के लिए जानवर की मौत के पांच किलोमीटर के दायरे में सभी घोड़ों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जाते हैं।